गूगल, फेसबुक, ट्विटर जैसी कंपनियों पर टैक्स लगाने की तैयारी पूरी हो चुकी है. सरकार से फिलहाल इन कंपनियों को जो टैक्स छूट मिली हुई है, अब वह बंद होने वाली है. इन कंपनियों को मिलने वाली छूट को 1 अक्टूबर से समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया है. ऐसे में इन कंपनियों को 18 फीसदी तक इंटीग्रेटेड GST देना पड़ सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन सभी कंपनियों को अब IGST के तहत मिलने वाली टैक्स छूट बंद कर दी गई है. और इस सिलसिले में सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है. इन कंपनियों की सेवाओं पर अगर टैक्स लगता है तो उसका असर उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सेवाओं पर भी पड़ सकता है. विदेशी ऑनलाइन सूचना और डेटाबेस एक्सेस रिट्रीवल सर्विस यानी OIDAR सर्विसेज देने वाली कंपनियां जैसे फेसबुक, एक्स, Google के साथ ही बड़ी संख्या में एडटेक कंपनियों को अब IGST के दायरे में लाया जा रहा है.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक विदेशी कंपनियों को भारत सरकार या व्यक्तिगत किसी को भी सर्विस मुहैया किए जाने के बदले 18 फीसद IGST देना होगा. यह नियम 1 अक्टूबर से लागू होगा.
विभाग के अनुसार नए नियम उन विदेशी कंपनियों पर लागू होंगे जो विज्ञापन, क्लाउड सेवाएं, संगीत, सदस्यता आधारित सेवा, ऑनलाइन शिक्षा और सभी व्यक्तियों और सरकार को जानकारी साझा करते हैं और भले ही इसका उपयोग व्यक्तिगत या व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किया गया हो. वर्तमान में गैर-कर योग्य क्षेत्र में विदेश में स्थित ओआईडीएआर प्रोवाइडर्स की सेवाएं और केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सरकारी अधिकारियों या व्यक्तियों की ओर से व्यवसाय के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए प्राप्त सेवाओं को छूट दी गई थी. टैक्स महज बिजनेस टू बिजनेस (B2B) सर्विसेज पर लागू होते थे.
टैक्स नियमों में संशोधन के तहत अब 1 अक्टूबर, 2023 से शुरू होने वाली OIDAR सेवाओं पर छूट लागू नहीं होगी. ओआईडीएआर सेवाओं को आमतौर पर इंटरनेट पर आईटी के माध्यम से प्रदान की जाने वाली सेवाओं के रूप में जाना जाता है, ये स्वचालित होते हैं. इन सेवाओं में इंटरनेट पर विज्ञापन, क्लाउड सेवाएं, ई-पुस्तकें, फिल्में, संगीत और सॉफ्टवेयर की बिक्री, डिजिटल सामग्री की आपूर्ति, डेटा भंडारण और ऑनलाइन गेमिंग आदि शामिल हैं.
वित्त अधिनियम 2023 में, केंद्र ने OIDAR सेवाओं के कर दायरे को बढ़ाया था और सेवा वितरण में कम से कम मानवीय हस्तक्षेप को शामिल किया था. वित्त विधेयक में गैर-पंजीकृत प्राप्तकर्ताओं को भी आईजीएसटी अधिनियम की धारा 16 में लाया गया है, जिससे सर्विस प्रोवाइडरों पर टैक्स इक्ट्ठा करने की जिम्मेदारी डाल दी गई है.