क्या आपके नए मोबाइल, लैपटॉप या स्मार्टवॉच का कोई पार्ट खराब हो गया है? क्या आपका ये सामान अभी भी वारंटी में है? तो ये खबर आपके लिए है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम यानी CBIC ने अपने एक आदेश में कहा है, वारंटी के तहत पार्ट्स के फ्री रिप्लेसमेंट या रिपेयर सेवा पर माल एवं वस्तु कर (GST) नहीं लगेगा। वारंटी अवधि के दौरान पार्ट के रिप्लेसमेंट या रिपेयर सेवाओं पर टैक्स लगाए जाने को लेकर असमंजस की स्थिति थी, जो अब नए आदेश के बाद स्पष्ट हो गई है।
क्या है CBIC का आदेश
CBIC ने अपने आदेश में कहा है कि वारंटी अवधि के दौरान मुफ्त में बदले जाने वाले पार्ट्स या सामान और उनसे जुड़ी सेवाओं पर GST नहीं लगेगा। हालांकि, कंपनियां इस उद्देश्य के लिए अपने आपूर्तिकर्ताओं से प्राप्त पार्ट और वस्तुओं पर भुगतान किए गए करों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त कर सकती हैं।
क्यों लिया गया ये फैसला
CBIC का कहना है कि कंपनी या निर्माता ग्राहक को जब कोई सामान वारंटी के साथ बेचता है, तभी वारंटी अवधि के दौरान पार्ट्स रिप्लेसमेंट या रिपेयर सेवा की संभावित लागत पहले से ही ले लेता है। जिस पर ग्राहक टैक्स का भुगतान पहले ही कर चुका होता है। इसलिए वारंटी के दौरान फ्री पार्ट रिप्लेसमेंट या रिपेयर सर्विस पर GST नहीं देना होगा।
किसे देना होगा टैक्स
CBIC का कहना है कि अगर निर्माता रिप्लेसमेंट पार्ट्स या सर्विस के लिए ग्राहक से अतिरिक्त भुगतान लेता है, तब इस अतिरिक्त राशि पर GST लगेगा।
कंपनियों के लिए भी स्पष्टीकरण
CBIC ने यह भी स्पष्ट किया है कि कैसे किसी कंपनी के हेड ऑफिस द्वारा राज्य में अपनी ब्रांच ऑफिस के लिए खरीदी गई सेवाओं के भुगतान पर किए गए टैक्स पर क्रेडिट का उपयोग कैसे किया जा सकता है। अलग-अलग राज्यों में ब्रांच ऑफिस को जीएसटी कानून के तहत एक अलग संस्थान माना जाता है। CBIC ने स्पष्ट किया है कि हेड ऑफिस के पास उसके द्वारा खरीदी गई कॉमन सर्विस पर चुकाए गए टैक्स का क्रेडिट अपने ब्रांच ऑफिस के बीच बराबर बांटने का विकल्प होता है। हालांकि, हेड ऑफिस के लिए इस तरह के इनपुट टैक्स क्रेडिट को बांटना अनिवार्य नहीं है।