निजी कंपनी में जॉब करने वाले संजय ने 31 जुलाई को किसी तरह से अपना इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर भर दिया. डेडलाइन के भीतर रिटर्न भरकर वह पेनाल्टी से तो बच गए लेकिन जल्दबाजी के चक्कर में बड़ी गलती कर बैठे.
संजय ने नई रिजीम में रिटर्न भरा है. इस तरह से वह विभिन्न कटौतियों का लाभ नहीं ले पाए. उनके सीए दोस्त ने बताया कि अगर वह जल्दबाजी न करते तो टैक्स की देनदारी काफी हद तक कम कर सकते थे. दरअसल, संजय की सैलरी से कुल आय 7 लाख रुपए है. उऩका 60,000 रुपए पीएफ कटता है. उन्होंने अपने और माता-पिता के लिए हेल्थ बीमा भी ले रखा है.
आखिर संजय ने क्या गलती कर दी, वह कैसे बचा सकते थे टैक्स? दरअसल, संजय ने जल्दबाजी में नई कर व्यवस्था चुन ली. इस वजह से उन्हें पीएफ और एचआरए जैसी कई कर कटौतियों का लाभ नहीं मिल पाया. कुल सालाना कमाई 7 लाख रुपए थी और वित्तवर्ष 2022-23 में नई टैक्स व्यवस्था में 5 लाख रुपए तक की छूट थी. यानी संजय की 7 लाख की सालाना में से 2,50,000 रुपए की बेसिक कटौती के बाद 4,50,000 रुपए की शुद्द आय बनी. इस पर 32,500 रुपए का टैक्स बना. अगर आपका हाल भी संजय जैसा है तो समझिए कि अगले साल कुछ गलतियों को दूर करके कैसे टैक्स बचा सकते हैं?
एनपीएस में निवेश
आमतौर पर लोगों को रिटायरमेंट बहुत दूर की बात लगती है बल्कि यूं लगता है कि वह वक्त तो शायद कभी आने ही वाला नहीं है. समझने की बात यह है कि रिटायरमेंट के बाद के सालों के लिए जो आप आज बचाएंगे, उसका फायदा आपको रिटायरमेंट के बाद के सालों में होगा. नौकरी के दौरान इस पर निवेश पर टैक्स भी बचा सकते हैं.
अगर संजय अभी 30 साल के हैं और 5000 रुपए महीने एनपीएस में निवेश करते हैं तो सालाना निवेश 60,000 रुपए बनेगा. अगर वह 65 साल की आयु तक निवेश को जारी रखते हैं तो 35 साल में उनका कुल 21 लाख रुपए निवेश करेंगे. अगर इस निवेश पर सालाना 10 फीसद रिटर्न मानकर चलें तो मैच्योरिटी के समय कुल 1.91 करोड़ रुपए की रकम बनेगी.
टैक्स में छूट
वेतनभोगी कर्मचारी को एनपीएस में सालाना 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर धारा 80सी के तहत कर कटौती का लाभ मिलता है. इस सीमा के ऊपर धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत 50,000 रुपए की अतिरिक्त छूट भी मिलती है. इस तरह एनपीएस में एक वित्त वर्ष में दो लाख रुपए तक के निवेश पर कर कटौती का लाभ ले सकते हैं.
ईएलएसएस में निवेश
टैक्स सेविंग के लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस में निवेश अच्छा विकल्प है. यह म्यूचुअल फंड स्कीम है. इसमें निवेश की गई कम से कम 65 फीसद रकम स्टॉक मार्केट में लगाई जाती है. इस निवेश का लॉक इन पीरियड तीन साल का है. ईलएसएस में आयकर की धारा 80सी के तहत हर साल 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर कर कटौती का लाभ ले सकते हैं. अगर अधिकतम सीमा के हिसाब से ईएलएसएस में 12,500 रुपए महीने की एसआईपी कराते हैं तो एक साल में 1.5 लाख और तीन साल में 4.5 लाख रुपए का निवेश होंगे. अगर इस पर सालाना 12 फीसद का रिटर्न मानकर चलें तो तीन साल में यह रकम 5.43 लाख रुपए बन जाएगी. ईएलएसएस से हर साल एक लाख रुपए तक का लाभ टैक्स फ्री है.
हेल्थ बीमा पर छूट
संजय अगर अपने और परिवार के लिए हेल्थ बीमा खरीदते हैं तो 25,000 रुपए तक के निवेश पर आयकर की धारा-80डी के तहत कर कटौती का लाभ ले सकते हैं. अगर वह माता-पिता के लिए हेल्थ बीमा का प्रीमियम चुकाते हैं तो 25,000 रुपए प्रीमियम पर छूट ले सकते हैं. इस तरह वह 80डी के तहत 50,000 रुपए तक प्रीमियम पर कर कटौती का लाभ ले सकते हैं.
अगर संजय पुरानी रिजीम में आईटीआर का विकल्प चुनते और निवेश करते तो उनके टैक्स की सूरत कुछ इस तरह होती. संजय की सालाना आय 7 लाख रुपए है. सालाना 2.5 लाख रुपए टैक्स फ्री इनकम छूट को घटाकर यह रकम 4.5 लाख रुपए बनी. धारा-80सी, 80सीसीडी(1बी), 80डी में निवेश और एचआरए व मानक कटौती की रकम 4.4 लाख रुपए बनती है. इस तरह संजय की शुद्ध आय 10,000 रुपए रह गई. धारा 87A के तहत छूट मिलने के बाद टैक्स की रकम शून्य हो जाएगी.
मनी9 की सलाह
आईटीआर भरने के लिए कभी अंतिम तारीख का इंतजार न करें. टैक्स की प्लानिंग नए वित्त वर्ष के साथ ही शुरू कर दें. निवेश में टैक्स छूट के साथ-साथ अच्छा रिटर्न भी देखना चाहिए. इस साल से टैक्स की व्यवस्था में बदलाव हुआ है. उसी के हिसाब से प्लानिंग करें. टैक्स रिजीम चुनने से पहले अपनी आय और टैक्स की अच्छी तरह से कैलकुलेशन कर लें. वित्त वर्ष के अंत में जल्दबाजी में कोई निवेश न करें. इस मामले में जरा सी लापरवाही भारी पड़ सकती है. अगर निवेश नहीं कर रहे हैं तो फिर आपके लिए नई रिजीम बेहतर रहेगी.