उच्चतम न्यायालय ने आयात किए गए उत्पादों का कथित रूप से अधिक मूल्य दिखाने के मामले में अदानी पावर महाराष्ट्र लिमिटेड (एपीएमएल), अदानी पावर राजस्थान लिमिटेड (एपीआरएल) एवं अन्य के खिलाफ दायर सीमा शुल्क विभाग की समीक्षा याचिका खारिज कर दी है. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने कहा कि रिकार्ड को देखने से पिछले आदेश में कोई भी गड़बड़ी नहीं दिखाई देती है.
पीठ ने कहा कि समीक्षा याचिकाओं को पढ़ने के बाद रिकॉर्ड में कोई त्रुटि नहीं नजर आती है. उच्चतम न्यायालय नियम, 2013 के आदेश 47 नियम एक के तहत समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता है. इसलिए, समीक्षा याचिकाएं खारिज की जाती हैं. सीमा शुल्क विभाग ने शीर्ष अदालत के 27 मार्च, 2023 के आदेश को चुनौती देते हुए समीक्षा याचिका दायर की थी. उच्चतम न्यायालय ने अपने पिछले आदेश में विभाग की याचिका को ठुकरा दिया था. मामले से जुड़े एक वकील के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने पाया था कि अदानी समूह की कंपनियों एपीएमएल और एपीआरएल की परियोजना लागत या तो उनके प्रतिस्पर्धियों की कीमत के बराबर या उससे भी कम थी.
उन्होंने कहा कि परियोजना की कीमत केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) द्वारा तय मानक लागत से कम थी और ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण) अनुबंध अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली के बाद सबसे कम बोली लगाने वाले को दिया गया था. अदानी समूह की इन बिजली कंपनियों ने महाराष्ट्र और राजस्थान में ताप विद्युत परियोजनाएं लगाने के लिए जरूरी उत्पादों का आयात किया था. राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) ने मई, 2014 में इन पूंजीगत उत्पादों के आयात में अधिक मूल्यांकन किए जाने का आरोप लगाते हुए इन कंपनियों एवं अन्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
हालांकि, डीआरआई के निर्णायक प्राधिकारी ने 2017 में इन सभी आयात को वास्तविक बताते हुए निष्कर्ष निकाला था कि घोषित मूल्य सही था और इसे फिर से निर्धारित करने की जरूरत नहीं है. इसके बाद नोटिस हटा दिए गए. इसके खिलाफ सीमा शुल्क विभाग की अर्जी को वर्ष 2022 में अपीलीय न्यायाधिकरण ने भी ठुकरा दिया था.