चोको चिक्‍की खाना पड़ेगा महंगा

GST-AAR की कर्नाटक बेंच ने बेंगलुरु की चिक्‍की निर्माता कंपनी सिरीमिरी न्‍यूट्रिशन फूड प्रोडक्‍ट्स के मामले में एक अनूठा आदेश सुनाया है

चोको चिक्‍की खाना पड़ेगा महंगा

अगर आप चॉकलेट चिक्‍की खाने के शौकीन हैं, तो अब आपको ये शौक थोड़ा महंगा पड़ेगा. गुड़ से बनी तिल चिक्‍की, मूंगफली चिक्‍की या ड्राय फ्रूड चिक्‍की पर 5 फीसद की दर से जीएसटी लग रहा था, जो आगे भी लगता रहेगा. लेकिन अगर इसी चिक्‍की में कोकोआ पाउडर मिला होगा, तब इस पर जीएसटी की दर बढ़कर 18 फीसद हो जाएगी.

क्‍या है मामला
हाल ही में, जीएसटी अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग्‍स (GST-AAR) की कर्नाटक बेंच ने बेंगलुरु की चिक्‍की निर्माता कंपनी सिरीमिरी न्‍यूट्रिशन फूड प्रोडक्‍ट्स के मामले में एक अनूठा आदेश सुनाया है. जीएसटी एएआर का कहना है कि ड्रायफ्रूट चिक्‍की और स्‍पीरुलीना चिक्‍की जैसी नई वैरायटी पर 5 फीसद की दर से जीएसटी लगेगा. क्‍योंकि चिक्‍की की ये वैरायटी चैप्‍टर 17 में शुगर कन्‍फेक्‍शनरी नोट कंटेनिंग कोकोआ की श्रेणी में आती है.

कोकोआ चिक्‍की पर लगेगा ज्‍यादा टैक्‍स
लेकिन चॉकलेट पीनट चिक्‍की को लेकर जीएसटी एएआर का मानना है कि इसमें कोकोआ पावडर का इस्‍तेमाल किया गया है. और ये चैप्‍टर 18 में चॉकलेट एंड अदर फूड कैटेगरी में आता है. जिसपर 18 फीसद की ऊंची दर से जीएसटी लगता है. इसलिए चॉकलेट चिक्‍की पर भी 5 नहीं बल्कि 18 फीसद की दर से जीएसटी लगेगा.

जटिल बनता जा रहा है जीएसटी
केपीएमजी इंडिया के इनडायरेक्‍ट टैक्‍स पार्टनर हरप्र‍ीत सिंह का कहना है कि कुक्‍ड और सेमी-कुक्‍ड फूड आइटम के पैकेट में कई तरह की सामग्रियों का इस्‍तेमाल किया जाता है. इसलिए इनके बनाने की प्रक्रिया भी भिन्‍न हो सकती हैं, इनके नाम भी बदल सकते हैं और इन्‍हें कई तरीके से उपयोग में लाया जा सकता है. इन्‍हें देखते हुए जीएसटी का जो क्‍लासीफ‍िकेशन है वह बहुत जटिल हो जाता है. जिस वजह से टैक्‍स स्‍लैब को समझना मुश्किल होता है और इस वजह से विवाद बढ़ते हैं.

पहले भी आ चुके हैं कई मामले सामने
गुजरात एएआर भी अमूल मामले में ऐसा ही एक फैसला सुना चुका है. इस फैसले में फ्लेवर्ड मिल्‍क पर 12 फीसद जीएसटी के दायरे में रखा गया है. वहीं दूसरे मामले में गुजरात एएआर ने लस्‍सी को जीएसटी से बाहर कर दिया है.

Published - July 24, 2023, 12:55 IST