राज्यों के नाकों पर टूरिस्ट गाड़ियों से वसूले जाने वाले पैसेंजर टैक्स, चेकपोस्ट टैक्स और बॉर्डर टैक्सको लेकर केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई है. इसके साथ ही केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि वे ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट वाली गाड़ियों से इस तरह का टैक्स न वसूलें क्योंकि ऑल इंडिया परमिट वाली गाड़ियां पहले ही टैक्स चुका देती हैं. सड़क परिवहन मंत्रालय ने इस मुद्दे पर सभी राज्यों के प्रधान सचिवों और परिवहन सचिवों को चिट्ठी लिखी है.
चिट्ठी के अनुसार सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पर्यटक वाहनों से यात्री कर, चेकपोस्ट कर और सीमा कर के रूप में अतिरिक्त शुल्क वसूलना बंद करने को कहा है. सड़क मंत्रालय ने कहा कि अखिल भारतीय पर्यटक परमिट वाले वाहनों का परमिट शुल्क राज्यों के साथ साझा किया जाता है. ऐसे में इनसे फिर से अतिरिक्त कोई भी शुल्क लेना अनुचित है और इससे पर्यटक यातायात प्रभावित होता है.
केंद्र की क्या है दलील?
आमतौर पर परिवहन सेवाएं राज्य सरकारों के दायरे में आती हैं, लेकिन केंद्र सरकार को परमिट देने सहित पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पूरे भारत में अन्य नियम बनाने के लिए मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत अधिकार प्राप्त है. अंतरराज्यीय मार्गों पर ज्यादातर पर्यटक वाहन अखिल भारतीय परमिट के आधार पर संचालित होते हैं. ऐसे में राज्य सरकारों की तरफ से इनसे फिर से टैक्स वसूलना उचित नहीं है.
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पत्र में लिखा है कि अखिल भारतीय पर्यटक वाहन (परमिट) नियम, 2023 निर्धारित शुल्क का भुगतान करने के बाद जारी किए गए परमिट के आधार पर देश भर में पर्यटक वाहनों की निर्बाध और परेशानी मुक्त आवाजाही के उद्देश्य से बनाए गए थे. MORTH ने अप्रैल 18 को अखिल भारतीय पर्यटक वाहन (परमिट) नियम, 2023 को अधिसूचित किया और इसके प्रावधानों को मई से लागू किया. हालांकि नियमों में बदलाव के बारे में उचित जानकारी के अभाव में कुछ राज्य सरकारें अब भी अतिरिक्त परमिट शुल्क ले रही हैं.