इंफोसिस को मिली राहत, अधिकारियों ने वापस लिया 32,403 करोड़ रुपए का GST नोटिस

कर्नाटक के वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिकारियों की ओर से आईटी कंपनी इंफोसिस को जारी किया कारण बताओ नोटिस वापस ले लिया गया है. ये जानकारी कंपनी ने स्‍टॉक एक्‍सचेंज फाइलिंग में दी.

इंफोसिस को मिली राहत, अधिकारियों ने वापस लिया 32,403 करोड़ रुपए का GST नोटिस

देश की दिग्‍गज आईटी कंपनी इंफोसिस के बेंगलुरु कार्यालय को हाल ही में कर्नाटक के वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिकारियों की ओर से एक नोटिस जारी किया गया था. जिसमें कंपनी पर 32403 करोड़ रुपए की टैक्‍स चोरी का आरोप लगाया गया था. हालांकि अब सरकारी अधिकारियों ने इस कारण बताओ नोटिस को वापस ले लिया है. ये जानकारी इंफोसिस ने गुरुवार देर रात स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग के दौरान दी. नोटिस मिलने के तुरंत बाद ही इसे वापस लिए जाने से कंपनी ने राहत की सांस ली.

इंफोसिस को यह नोटिस अपनी विदेशी शाखाओं से ली गई सेवाओं के लिए जारी किया गया था. अधिकारियों को कहना था कि ये आयात शुल्‍क के दायरे में आता है ऐसे में इस पर टैक्‍स का भुगतान करना होगा. हालांकि कंपनी की दलील है कि ऐसे खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं होता है. इंफोसिस ने ताजा अपडेट साझा करते हुए बताया कि अधिकारियों ने कंपनी को जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) को आगे का जवाब देने के निर्देश दिए गए हैं.

क्‍या था मामला?

इंफोसिस ने स्‍टॉक एक्‍सचेंज फाइलिंग में बताया था कि कंपनी को कर्नाटक के जीएसटी कार्यालय से कारण बताओ नोटिस भेजा गया था, जिसमें कहा गया था कि कंपनी ने जुलाई 2017 से 2022 तक विदेशों में स्थित अपनी शाखाओं से सेवाएं ली हैं. ऐसे में कंपनी को 32,403.46 करोड़ रुपए का एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) का भुगतान करना होगा. जीएसटी इंटेलिजेंस निदेशालय का मानना है कि इंफोसिस ने सेवाओं के आयात पर प्राप्तकर्ता के रूप में टैक्‍स नहीं दिया है. हालांकि इंफोसिस ने अपनी सफाई में कहा था कि कंपनी भुगतान के दौरान केंद्र और राज्य द्वारा जारी नियमों का पूरी तरह से पालन किया है और नियम के तहत ऐसे खर्चों पर जीएसटी लागू नहीं होती है.

दूसरी आईटी कंपनियों पर भी गिर सकती है गाज

सूत्रों के मुताबिक केंद्र के टैक्‍स अधिकारी इंफोसिस को मिले जीएसटी नोटिस की समीक्षा कर सकते हैं. इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्‍द ही दूसरे आईटी फर्मों को भी इसी तरह की जीएसटी मांगों का सामना करना पड़ सकता है. हर मामले की जांच केस-दर-केस आधार पर की जा सकती है.

Published - August 2, 2024, 09:41 IST