सरकार शीरा या मोलासिस के निर्यात पर 25 फीसद टैक्स लगाने के लिए विचार कर रही है. मोलासिस गन्ने का बाय-प्रोडक्ट और एथेनॉल उत्पादन का एक मुख्य घटक है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वरिष्ठ अधिकारियों को उम्मीद है कि आगामी सीजन में चीनी उत्पादन में कमी हो सकती है. उनका कहना है कि निर्यात पर पाबंदियों की वजह से उम्मीद जताई जा रही है कि घरेलू डिस्टिलरी को मोलासिस की सप्लाई में बढ़ोतरी होगी और इससे उन्हें सरकार के एथेनॉल मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने में भी मदद मिलेगी.
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन यानी इस्मा ने अगस्त में 2023-24 सीजन के लिए 317 लाख टन चीनी उत्पादन का प्रारंभिक अनुमान जारी किया था, जबकि मौजूदा सीजन में 328 लाख टन चीनी उत्पादन दर्ज किया गया था. बता दें कि चीनी वर्ष अक्टूबर में शुरू होता है और अगले साल सितंबर में खत्म होता है.
हालांकि इस्मा का कहना है कि मध्य अक्टूबर के बीच गन्ने की फसल का उपग्रह मूल्यांकन के बाद एक और सटीक अनुमान जारी होने की उम्मीद है. बता दें कि ऐसा तब हो रहा है जब गन्ने की बुआई पिछले साल के 55.66 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस साल 59.91 लाख हेक्टेयर दर्ज की गई है. गौरतलब है कि नीदरलैंड, फिलीपींस, वियतनाम, दक्षिण कोरिया और इटली भारतीय मोलासिस के प्रमुख खरीददार हैं. मोलासिस मुख्य रूप से पशुओं के चारा के रूप में इस्तेमाल होता है. महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक भारत से मोलासिस का निर्यात करने वाले तीन प्रमुख राज्य हैं.