हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के लिए किराए का खर्च बढ़ गया है. जीएसटी से जुड़े मामलों पर फैसला सुनाने वाले 2 अलग-अलग अग्रिम निर्णय प्राधिकरण यानी AAR ने इसको लेकर फैसला सुनाया है. AAR की बेगलुरू बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि पेइंग गेस्ट या हॉस्टल का किराया जीएसटी छूट प्राप्त करने योग्य नहीं है क्योंकि होस्टल का कमरा स्थाई आवास नहीं है. होस्टल का पेइंग गेस्ट के किराए पर 12 फीसद टैक्स का फैसला सुनाया गया है.
कर्नाटक में हॉस्टल और पेइंग गेस्ट के प्रबंधन का काम करने वाली संस्था श्रीसाईं ने यह तर्क देते हुए जीएसटी छूट मांगी थी कि होस्टल और पेइंग गेस्ट का इस्तेमाल रहने के लिए किया जाता है, ऐसे में उनसे जीएसटी नहीं वसूला जा सकता. इस फैसले के लिए पिछले साल जीएसटी से जुड़ी एक अधिसूचना आधार बनी है. पिछले साल जुलाई तक रोजाना 1000 रुपए से कम लागत वाले होटल के कमरों पर जीएसटी छूट थी, लेकिन 18 जुलाई के बाद से वह छूट समाप्त कर दी गई है.
मामले पर सुनवाई के दौरान AAR के सामने याचिकाकर्ता श्रीसाईं ने माना था कि वह अपने होस्टल या पेइंग गेस्ट में रहने वालों को व्यक्तिगत रूप से खाना बनाने की सुविधा नहीं देते, कमरों में जितने भी लोग रहते हैं वे एक दूसरे से अनजान होते हैं और उनसे किराया वसूला जाता है. इन तमाम तथ्यों को सामने पाकर AAR ने अपना फैसला सुनाया है.
इधर AAR की लखनऊ बेंच ने भी इसी तरह के एक मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि ऐसे होस्टल जहां पर रहने की दैनिक लागत 1000 रुपए से कम है, उनपर जीएसटी वसूली लागू है. लखनऊ बेंच के सामने नोएडा की कंपनी वीएस इंस्टिट्यूट एंड होस्टल प्राइवेट लिमिटेड ने याचिका दायर की हुई थी.