भारतीय परिवार महंगाई की आंच में तप रहे हैं. खाने पीने के सामानों का खर्च जेब में सुराख करता जा रहा है. वहीं कोरोना संक्रमण ने परिवरों की कमाई पर बड़ा प्रहार किया है. इसका असर भारतीय परिवारों की बचत पर भी पड़ रहा है. भारतीय परिवार अपनी बचत तोड़कर जरूरी खर्चों को पूरा कर रहे हैं. ‘भारत की जेब के सर्वे’ ने इन सभी सवालों की परतें खोली हैं. मनी9 के सर्वे में जो आंकड़ा सामने आया है, वह वाकई में सरकारों और नीति निर्धारकों की आंखें खोलने वाला है.
सर्वे के मुताबिक पिछले 5 सालों में 67 फीसदी परिवारों ने अपनी बचत तोड़ी है. जबकि 33 फीसदी परिवारों ने अपनी मौजूदा कमाई से खर्चों का इंतजाम किया. इन बीते पांच साल में परिवारों ने कोरोना जैसी महामारी का सामना किया है. कोरोना लॉकडाउन के कारण जहां परिवारों की कमाई बंद हुई, वहीं बीमारी के चलते अस्पताल पर किया गया भारी खर्च शामिल हैं.
क्यों टूटी बचत
मनी9 के सर्वे से पता चला है कि बचत तोड़ने वाले 67 फीसदी लोगों में इलाज का खर्च सबसे ज्यादा भारी पड़ा है. करीब 22.3 फीसदी लोगों ने इलाज खर्च को पूरा करने के लिए अपनी बचत तोड़ी है. यह बताता है कि कोरोना के बाद किस प्रकार भारतीय परिवारों पर इलाज का खर्च बढ़ा है. भारतीय परिवारों की औसत कमाई जहां बहुत कम है, तो बचत का आंकड़ा भी बहुत मामली है. उस पर महंगे अस्पताल खर्च ने उनकी बचत को स्वाहा कर दिया है. वहीं नौकरी छूटने या कमाई बंद होने के कारण 15.2 फीसदी लोगों ने अपनी बचतों को तोड़ा है. यह बताता है कि भारतीय परिवारों के बीच बेरोजगारी कितनी बड़ी समस्या है.
बच्चों को पढ़ाने के लिए भी तोड़ी बचत
इसके अलावा पढ़ाई के बढ़ते खर्च ने भी लोगों को बचतें तोड़ने को मजबूर किया है. करीब 11 फीसदी परिवारों को पढ़ाई के खर्च पूरे करने के लिए बचत तोड़नी पड़ी है. इसके साथ ही शादी भी बचत तोड़ने की एक वजह बनी है. भारत के 8.2 फीसदी परिवारों ने बीते 5 साल में शादी का खर्च पूरा करने के लिए बचत तोड़ी है. करीब इतने ही यानि 8.2 फीसदी परिवारों ने कर्ज उतारने के लिए बचत तोड़ने का फैसला लिया है. कारोना संकट में बहुत से परिवारों से कमाने वाले सदस्य का साथ छूट गया. परिवार के कमाने वाले सदस्य की मृत्यु के कारण 2.3 फीसदी परिवारों ने बचत तोड़ी है. यह बताता है कि भारतीय परिवारों के पास सोशल सिक्योरिटी का सहारा नहीं है. यही कारण है कि परिवार के कमाने वाले सदस्य की अचानक मौत होने के कारण परिवारों के सामने बचत तोड़ने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं रहता.
80 फीसदी परिवारों को नौकरी छूटने का डर
मनी9 के पर्सनल फाइनेंस सर्वे के मुताबिक नौकरीपेशा लोगों में 24 फीसद लोगों को नौकरी जाने का बहुत ज्यादा डर हमेशा बना रहता है, इसके अलावा 56 फीसद लोग ऐसे हैं जिनमें नौकरी जाने का डर तो है लेकिन बहुत ज्यादा नहीं. यानी देश के 80 फीसद लोग नौकरी जाने के डर में जी रहे हैं. सिर्फ 20 फीसद लोग ऐसे हैं जिनको नौकरी जाने का कोई डर नहीं है.
56 फीसदी परिवारों के पास सिर्फ 2 महीने की बचत
सर्वे के मुताबिक जिन 24 फीसद लोगों को नौकरी जाने का सबसे ज्यादा डर है उनका कहना है कि उनके पास इतनी बचत है कि नौकरी जाने पर वे 6 महीने तक गुजारा कर सकते हैं, इसी तरह जिन 56 फीसद लोगों नौकरी जाने का ज्यादा डर नहीं है उनके पास इतनी बचत है कि 2-3 महीने तक बिना नौकरी के गुजारा कर सकते हैं.
आपकी जेब का सबसे बड़ा सर्वे
यह सर्वे प्रतिष्ठित ग्लोबल एजेंसी RTI इंटरनेशनल ने किया है. यह एजेंसी वर्ल्ड बैंक जैसे बड़े संस्थानों के लिए इस तरह के सर्वे करती आई है. मनी 9 जैसा सर्वे भारत में आम तौर पर या तो रिजर्व बैंक या नैशनल सैंपल सर्वे ऑफ इंडिया कराता है. लेकिन इन दोनों ही संस्थाओं का सबसे ताजा सर्वे, मनी9 के सर्वे से बहुत पुराना है. मौजूदा हालात पर मनी9 का सर्वे ही भारतीयों की आर्थिक सेहत की सबसे सटीक जानकारी उपलब्ध कराता है.