सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच ने कहा कि भारत के कैपिटल मार्केट में प्रीमियम वैल्यूएशन का कारण विदेशी निवेशकों की देश को लेकर उम्मीद और भरोसा है. उन्होंने कहा कि मूल्य-आय अनुपात 22.2 है जो दुनिया के कई सूचकांकों के औसत से अधिक है. बुच ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के कंपनी संचालन पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि निश्चित रूप से कुछ लोग कहते हैं कि हमारा बाजार महंगा है लेकिन फिर भी निवेश क्यों आ रहा है? क्योंकि यह उस आशावाद और विश्वास को रिफ्लेक्ट करता है जो दुनिया आज भारत पर रखती है.
सेबी प्रमुख ने कुछ सप्ताह पहले छोटे और मझोली कंपनियों (Small & Mid Cap Companies) के शेयरों के प्रीमियम वैल्यूएशन पर चिंता जतायी थी. उन्होंने कहा था कि यह एक ‘बुलबुले’ में तब्दील हो सकता है. बुच ने कहा कि वह मिली जिम्मेदारियों के तहत नियमित रूप से विदेशी निवेशकों से मिलती रहती हैं. उन्होंने देखा है कि कई साल की मजबूत वृद्धि के बाद देश की अर्थव्यवस्था में जो गति आई है, उसके कारण विदेशी निवेशकों में भारत के प्रति रुचि बढ़ी है.
उन्होंने कहा कि उन्हें अर्थव्यवस्था की ताकत का संकेत देने वाले आंकड़ों से प्रोत्साहन मिलता है. ये जीएसटी कलेक्शन, एडवांस टैक्स पेमेंट, बिजली और ऊर्जा खपत में ग्रोथ जैसे आंकड़े हैं.
बुच ने कहा कि बाजार में रुचि के कारण शेयर सेगमेंट में कुल बाजार पूंजीकरण (mCap) वित्त वर्ष 2023-24 के अंत में 378 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. जबकि एक दशक पहले यह 74 लाख करोड़ रुपये था. उन्होंने कहा कि बाजार पूंजीकरण अब कुल मिलाकर सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के स्तर पर है.
उन्होंने कहा कि भारतीय संस्थाओं ने वित्त वर्ष 2023-24 में इक्विटी और बॉन्ड जारी कर बाजार से कुल 10.5 लाख करोड़ रुपये जुटाये. इसमें बॉन्ड के माध्यम से 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक जुटाये गये. बुच ने बॉन्ड जारी करने के बारे में कहा कि यह अब एक साल में दिये गये कुल बैंक लोन के 62 फीसद से अधिक तक पहुंच गया है.