स्टॉक मार्केट के जानकार आमतौर पर प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. आप अक्सर प्राइमरी और सेकेंडरी मार्केट के बारे में सुनते भी होंगे. क्या आप जानते हैं कि इनका मतलब क्या है और दोनों में क्या फर्क है? दरअसल, स्टॉक मार्केट दो तरह के होते हैं. पहला प्राइमरी मार्केट और दूसरा सेकेंडरी मार्केट. अब जानते हैं कि ये एक-दूसरे से अलग कैसे हैं?
प्राइमरी मार्केट
प्राइमरी मार्केट में नई सिक्योरिटीज जैसे नए शेयर और बॉन्ड जारी किए जाते हैं. प्राइमरी मार्केट में कंपनियां निवेशकों को शेयर बेचती हैं और रकम जुटाती हैं. प्राइमरी मार्केट में सीधे कंपनी और इन्वेस्टर्स के बीच ट्रांजेक्शन होता है. प्राइमरी मार्केट में कंपनी अलग-अलग तरीके से पूंजी जुटा सकती हैं. जैसे कि पब्लिक इश्यू (IPO), प्राइवेट प्लेसमेंट और राइट इश्यू. कोई कंपनी जब पहली बार स्टॉक एक्सचेंज के जरिए अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचकर निवेशकों से रकम जुटाती है तो उसके लिए उसे आईपीओ (IPO) लाना होता है. प्राइमरी मार्केट में निवेश करने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना चाहिए.
डीमैट खाता किसी भी ब्रोकरेज या बैंक में खोला जा सकता है. आप https://www.5paisa.com/open-demat-account पर भी जा सकते हैं और डीमैट खाता खोल सकते हैं. इस प्रक्रिया के जरिए कंपनी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होती है. कंपनी का प्राइमरी मार्केट में आने का उद्देश्य पैसे जुटाना होता है. प्राइमरी मार्केट में इन्वेस्टर सिर्फ शेयर खरीद सकते हैं उसे बेच नहीं सकते हैं. खरीदे हुए शेयरों को बेचने के लिए उन्हें सेकेंडरी मार्केट में जाना होगा.
सेकेंडरी मार्केट
स्टॉक एक्सचेंज जैसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)- सेकेंडरी मार्केट हैं, जहां आप आईपीओ में खरीदे शेयर बेच सकते हैं. इस मार्केट में किसी लिस्टेड कंपनी के शेयरों की खरीद-बिक्री होती है. जब हम स्टॉक एक्सचेंज पर शेयर खरीदते-बेचते हैं तब हम वास्तव में सेकेंडरी मार्केट में ट्रेड कर रहे होते हैं. सेकेंडरी मार्केट में पैसे और शेयर इन्वेस्टर्स (बायर और सेलर) के बीच एक्सचेंज होते हैं. सेकेंडरी मार्केट में होने वाले ट्रांजेक्शन में कंपनी शामिल नहीं होती है. सेकेंडरी मार्केट को आफ्टर मार्केट भी कहते हैं क्योंकि यहां पहले से इश्यू किए गए शेयर ट्रेड होते हैं.
प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट में अंतर
– प्राइमरी मार्केट में नए शेयर और बॉन्ड जारी होते हैं जबकि सेकेंडरी मार्केट में पहले से जारी हुए शेयर और बॉन्ड की खरीद बिक्री होती है.
– प्राइमरी मार्केट में कंपनी और इन्वेस्टर के बीच ट्रांजेक्शन होता है जबकि सेकेंडरी मार्केट में निवेशकों के बीच ट्रांजेक्शन होता है. इसमें कंपनी शामिल नहीं होती है.
– प्राइमरी मार्केट में लेनदेन करने पर पैसे सीधे कंपनी के पास जाता है. वहीं, सेकेंडरी मार्केट में पैसे का लेनदेन निवेशकों के बीच होता है.