आप कहां फंसे हैं? प्रमोटर तो बेचकर निकल लिए

शेयर बाजार में कंपनियों के वैल्‍युएशन में शानदार बढ़त को देख प्रमोटर्स भी बना रहे पैसा

आप कहां फंसे हैं? प्रमोटर तो बेचकर निकल लिए

भारतीय शेयर बाजार में जबर्दस्‍त तेजी है. सेंसेक्‍स और निफ्टी नई-नई ऊंचाइयां छू रहे हैं. कंपनियों के मार्केट कैप भी रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. वैल्‍युएशन में शानदार बढ़त को देख बहुत-सी कंपनियों के प्रमोटर भी अपनी हिस्‍सेदारी कम करके मुनाफा कूटने में लग गए हैं.
अप्रैल से जून की तिमाही में करीब 110 कंपनियों के प्रमोटर्स ने खुले बाजार में करीब 16 हजार करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं. ऐसे में आम निवेशकों के लिए अहम सवाल यह है कि उन्‍हें क्‍या करना चाहिए?

हिस्‍सेदारी बेचने वाले प्रमोटर्स ग्रुप में HDFC AMC, वेदांता फैशन्‍स, HDFC Life, ईजी ट्रिप प्‍लैनर्स, टीडी पावर जैसी कंपनियां शामिल हैं. HDFC AMC के प्रमोटर Abrdn ने जून महीने में 4,079 करोड़ रुपए में अपनी 10.2 फीसद हिस्‍सेदारी बेच दी. जून के अंत में ईजी ट्रिप प्‍लैनर्स के प्रमोटर्स ने ओपन मार्केट में 5.75 फीसद हिस्‍सेदारी बेच दी.

प्रमोटर्स की बिक्री पर क्‍यों बढ़ जाती है चिंता? 

प्रमोटर के शेयर बेचने को अच्‍छा नहीं माना जाता. जब किसी कंपनी के प्रमोटर्स ही शेयरों की बिकवाली करने लगते हैं तो ऐसा माना जाता है कि कंपनी में प्रमोटर्स का भरोसा कम हो रहा है. वे आगे कंपनी के ग्रोथ के बारे में बहुत आश्‍वस्‍त नहीं हैं. ऐसे में कई बार प्रमोटर्स की बिकवाली के बाद शेयरों की कीमत में गिरावट आने लगती है, क्‍योंकि आम निवेशक भी इसमें बिकवाली करने लगते हैं.

उदाहरण के लिए पिछले महीने जब क्‍लीन साइंस के प्रमोटर्स आशा अशोक, नीलिमा कृष्‍णाकुमार और आशा अशोक सिकची ने ओपन मार्केट में अपनी कुछ हिस्‍सेदारी बेचने का ऐलान किया तो इसके बाद ही शेयर टूटने लगे.

लेकिन जरूरी नहीं कि हर बिक्री के मामले में ऐसा हो. HDFC AMC का ही उदाहरण लीजिए. इसके एक प्रमोटर की बड़ी हिस्‍सेदारी बेचने के बाद जून तिमाही के दौरान इस शेयर में करीब 35 फीसदी की जबर्दस्‍त तेजी आई. पिछले तीन महीने में जितनी कंपनियों के प्रमोटर्स ने शेयर बेचे हैं, उनमें से ज्‍यादातर के शेयरों में तेजी आई है.

जरूरी नहीं कि बिक्री नेगेटिव संकेत ही हो

जरूरी नहीं कि प्रमोटर्स की बिक्री हमेशा नेगेटिव ही हो. ऐसा भी हो सकता है कि किसी कंपनी का बाजार में वैल्‍युएशन ओवरवैल्‍यूड हो गया हो और प्रमोटर्स इसका फायदा उठाकर कुछ मुनाफावसूली कर लेना चाहते हों.

सेबी के नियम को फॉलो करने के लिए भी कई बार प्रमोटर्स को अपनी हिस्‍सेदारी बेचनी पड़ती है. नियम के मुताबिक किसी लिस्‍टेड कंपनी में कम से कम 25 फीसदी पब्लिक की हिस्‍सेदारी होनी चाहिए. इसी नियम को फॉलो करने के लिए पतंजलि फूड्स को फॉलो ऑन पब्लिक ऑफर लाना पड़ा. क्‍लीन साइंस के प्रमोटर्स को भी इसी वजह से अपनी हिस्‍सेदारी बेचनी पड़ी थी.

कई बार अतिरिक्‍त नकदी की जरूरत को पूरा करने , कर्ज चुकाने के लिए भी प्रमोटर्स अपनी हिस्‍सेदारी बेचते हैं. जैसे हाल के महीनों में अडानी ग्रुप के प्रमोटर्स ने अमेरिकी फर्म GQG Partners को अपनी कंपनियों की हिस्‍सेदारी बेचकर अच्‍छी रकम जुटाई है.

क्‍या करें निवेशक?

शेयर बाजार में कई एक्‍सपर्ट अक्‍सर यह सलाह देते रहते हैं कि आपको लालच या यूफोरिया के असर में आने से बचना चाहिए और धारा के विपरीत चलने की कोश‍िश करनी चाहिए. यानी जब लोग जमकर खरीद कर रहे हों तो आप कुछ शेयरों में बिक्री कर अपने पोर्टफोलियो के मुनाफे को बढ़ा लें और जब लोग धड़ाधड़ बिकवाली में लगे हों तो आप खरीदने के लिए कुछ अच्‍छे शेयर ढूढ़े.

मार्केट एक्‍सपर्ट रवि सिंह ने कहते हैं, ‘अगर किसी शेयर में 30 से 40 फीसदी का रिटर्न दिख रहा है तो उसमें निवेशकों को बाहर निकल जाना चाहिए और जब यह शेयर नीचे की तरफ जाए तो इसमें फिर से निवेश कर सकते हैं.’

तो अगर आपको भी लगता कि किसी कंपनी का वैल्‍युएशन बहुत ज्‍यादा हो गया है. उसमें प्रमोटर खुद मुनाफावसूली करने में लगे हैं, तो आपको भी उसमें मुनाफा बुक करने की कोश‍िश करनी चाहिए.

Published - July 12, 2023, 01:52 IST