शेयर बाजार में ट्रेडिंग की सलाह देने वालों पर कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर SEBI का एक फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है. शेयरों में ट्रेडिंग की सलाह देने वाली एक कंपनी के मामले पर फैसला देते हुए SEBI ने कहा है कि कोई रिसर्च एनालिस्ट शेयरों पर ट्रेडिंग की सलाह नहीं दे सकता क्योंकि रिसर्च एनालिस्ट उन लोगों के रिस्क प्रोफाइल का आकलन नहीं करता, जिन्हें वह शेयर खरीदने या बेचने की सलाह देता है. SEBI ने कहा है कि इनवेस्टमेंट एडवाइजर अपने क्लाइंट के रिस्क प्रोफाइल का आकलन करता है, यानी इनवेस्टमेंट एडवाइजर की तरफ से शेयर ट्रेड पर दी जा रही सलाह को ही सेबी की मान्यता है.
SEBI ने यह फैसला बिग प्रॉफिट बज नाम की कंपनी चलाने वाले जीतेंद्र के मामले पर सुनवाई के बाद सुनाया है. सेबी की तरफ से कहा गया कि बिना जरूरी रजिस्ट्रेशन के जीतेंद्र, अपनी वेबसाइट और SMS के जरिए 2015 से इनवेस्टमेंट सलाहकार की सेवा दे रहा था और अपने क्लाइंट्स को शेयर खरीदने या बेचने की सलाह देता था. जब SEBI की तरफ से जीतेंद्र को नोटिस भेजा गया, तो उसने 2016 में सेबी के पास बतौर रिसर्च एनालिस्ट अपना पंजीकरण कराया.
रिसर्च एनालिस्ट के तौर पर पंजीकृत होने के बाद जीतेंद्र फिर से अपने क्लाइंट्स को शेयर ट्रेडिंग की सलाह देने लगा जबकि कानून के मुताबिक उसे सिर्फ रिसर्च सेवा उपलब्ध कराने का अधिकार था. जब SEBI की तरफ से फिर नोटिस भेजा गया तो जीतेंद्र ने कहा कि बतौर रिसर्च एनालिस्ट उसे शेयर ट्रेड की सलाह देने का अधिकार है.
लेकिन SEBI ने जीतेंद्र के तर्क को नकारा और उसे शेयर ट्रेड पर सलाह देने से मना किया है. सेबी ने मंगलवार को आदेश दिया है कि जीतेंद्र को वह सारा पैसा निवेशकों को वापस करना होगा जो उसने अपनी फीस के तौर पर उनसे वसूला है.