भारतीय शेयर बाजार हांगकांग को पछाड़कर वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा इक्विटी बाजार बन गया है. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध शेयरों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण सोमवार को 4.33 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच गया. हांगकांग के हेंगसेंग एक्सचेंज पर सूचीबद्ध शेयरों का कुल बाजार मूल्यांकन 4.29 लाख करोड़ डॉलर रहा. भारत के शेयर बाजार का मार्केट कैप पहली बार 5 दिसंबर, 2023 को 4 लाख करोड़ डॉलर के पार हुआ था. कुल बाजार पूंजीकरण का करीब आधा हिस्सा पिछले चार सालों में जुड़ा है. दुनिया के टॉप तीन शेयर बाजार अमेरिका, चीन और जापान हैं.
पिछले 12 महीने उन निवेशकों के लिए शानदार रहे हैं, जिन्होंने भारतीय शेयरों में अपना पैसा लगाया. हालांकि 2023 में कुछ उथल-पुथल रही लेकिन फिर भी कैलेंडर वर्ष 2023 ने शेयर बाजार के निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है. 2023 में ही सेंसेक्स और निफ्टी में संचयी आधार पर 17-18 फीसद की बढ़ोतरी हुई. 2022 में सेंसेक्स और निफ्टी प्रत्येक में केवल 3-4 फीसद की वृद्धि हुई थी. आंकड़ों से पता चलता है कि हांगकांग के बेंचमार्क हैंग सेंग इंडेक्स में वार्षिक आधार पर संचयी रूप से 32-33 फीसद की गिरावट आई है.
भारत की जीडीपी वृद्धि को लेकर जताए जा रहे अनुमान, मुद्रास्फीति के नियंत्रण में आने, देश में स्थिर राजनीतिक नेतृत्व की संभावना और दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक नीति को सख्त करने जैसे कारकों ने भारत के लिए एक उज्ज्वल तस्वीर पेश की है. वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ सहित तमाम वैश्विक एजेंसियों का मानना है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
हाल ही में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI)के मजबूत निवेश ने भी भारतीय शेयर बाजारों को अब तक के उच्चतम स्तर तक पहुंचाने में बड़ी मदद की है. विशेष रूप से, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने फिर से भारत की ओर अपना ध्यान केंद्रित किया है, और देश के शेयर बाजार में शुद्ध खरीदार बन गए हैं. इस वजह से भारतीय बेंचमार्क स्टॉक इंडेक्स हाल ही में अपने सर्वकालिक उच्चतम स्तर तक पहुंच गए हैं.
पिछले साल सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने के बाद भारत ने खुद को चीन के विकल्प के रूप में स्थापित किया है, जिससे वैश्विक निवेशकों और कंपनियों से नई पूंजी आकर्षित करने में मदद मिली है. ब्लूमबर्ग का कहना है कि भारत की स्थिर राजनीतिक व्यवस्था और उपभोग-संचालित अर्थव्यवस्था के कारण अन्य राष्ट्रों की तुलना में भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है.
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, कड़े कोविड-19 प्रतिबंधों, कंपनियों पर नियामक कार्रवाई, प्रॉपर्टी सेक्टर में संकट और अमेरिका के साथ भू-राजनीतिक तनाव आदि कारकों ने दुनिया के विकास इंजन के रूप में चीन की भूमिका को कमजोर कर दिया है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, हांगकांग में नई लिस्टिंग बंद हो गई है, क्योंकि एशिया के इस वित्तीय केंद्र ने प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के लिए दुनिया के सबसे व्यस्त स्थानों में से एक के रूप में अपना दर्जा खो रहा है.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।