नए साल में लोकसभा चुनाव, ब्याज दर के रुख से तय होगी शेयर बाजार की चाल

घरेलू शेयर बाजार में तेजी जारी रहेगी और अगले 3-6 माह में प्रमुख शेयर सूचकांक - सेंसेक्स और निफ्टी सात फीसद तक चढ़ सकते हैं.

नए साल में लोकसभा चुनाव, ब्याज दर के रुख से तय होगी शेयर बाजार की चाल

एक यादगार साल और निवेशकों को मिले शानदार मुनाफे के बाद भारतीय शेयर बाजार महत्वपूर्ण घटनाक्रमों से भरे 2024 में प्रवेश करने के लिए तैयार हैं. नए साल में शेयर बाजार की निगाह ब्याज दरों के साथ लोकसभा चुनाव और भू-राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रहेगी.

विश्लेषकों का मानना है कि घरेलू शेयर बाजार में तेजी जारी रहेगी और अगले 3-6 माह में प्रमुख शेयर सूचकांक – सेंसेक्स और निफ्टी सात फीसद तक चढ़ सकते हैं. वर्ष 2023 में 30 शेयरों वाला BSE सेंसेक्स 11,399.52 अंक या 18.73 फीसद बढ़ा, जबकि एनएसई निफ्टी में 3,626.1 अंक या 20 फीसद की तेजी हुई.

विश्लेषकों की राय है कि लोकसभा चुनाव, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव, अमेरिका और भारत में ब्याज दरों की चाल, मुद्रास्फीति के रुझान और भू-राजनीतिक हालात शेयर बाजार के लिए प्रमुख कारक होंगे. उन्होंने कहा कि बाजार 2024 के आम चुनावों में बहुमत के साथ भाजपा सरकार की वापसी चाहता है.

मोतीलाल ओसवाल ब्रोकिंग एंड डिस्ट्रिब्यूशन ने एक टिप्पणी में कहा कि लोकसभा चुनाव और उसके बाद पहले आम बजट पर सभी की नजर रहेगी. ब्याज दर में किसी भी कटौती से बाजार को अतिरिक्त बढ़ावा मिलेगा. इस साल यानी 2023 में शेयर बाजार के निवेशकों की पूंजी में 81.90 लाख करोड़ रुपए की भारी बढ़ोतरी हुई.

मेहता इक्विटीज लिमिटेड के चेयरमैन राकेश मेहता ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है और हाल में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा की बढ़त ने निवेशकों की भावना को और बल दिया है.

उन्होंने कहा कि व्यापक आर्थिक कारकों के सकारात्मक होने के साथ ही अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट के चलते एक बार फिर भारतीय बाजारों में विदेशी कोषों की लिवाली बढ़ी है.

उन्होंने उम्मीद जताई की मौजूदा तेजी अगले 3-6 महीनों में बनी रहेगी. इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में 5-7 फीसद की बढ़ोतरी तथा मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 10-15 फीसद की बढ़ोतरी देखी जा सकती है.

शेयर कारोबार मंच ट्रेडिंगो के संस्थापक पार्थ न्यति ने कहा कि 2024 में उम्मीद है कि विदेशी निवेशक खरीदारी करेंगे. अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट और डॉलर सूचकांक के कमजोर होने के कारण ऐसा होगा.

Published - December 31, 2023, 05:23 IST