शेयर सटोरियों पर बड़ी सख्ती, आप भी रहें सतर्क

बीएसई और एनएसई ने शेयरों के भाव में भारी उतार-चढ़ाव रोकने के लिए सर्विलांस प्रक्रिया शुरू की

शेयर सटोरियों पर बड़ी सख्ती, आप भी रहें सतर्क

फोटो साभार: TV9 भारतवर्ष

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बीएसई (BSE) और एनएसई (NSE) ने स्मालकैप शेयरों के भाव में भारी उतार-चढ़ाव पर लगाम लगाने और निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए एक सर्विलांस प्रक्रिया शुरू की है. इस प्रक्रिया का नाम है इनहेंस्ड सर्विलांस मीजर (ESM). ईएसएम के दायरे में हर उस कंपनी के शेयर आएंगे जिसका मार्केट कैप 500 करोड़ रुपए या इससे कम है. एक बार अगर कोई स्मालकैप कंपनी ESM के दायरे में आ जाएगी तो कंपनी को उस दायरे से बाहर निकलने के लिए तीन महीने लगेंगे.

ईएसएम में शेयर आएगा या नहीं इसके लिए शेयर के उतार-चढ़ाव के आधार पर तय किया जाएगा. इसके अंदर दो श्रेणियां बनाई गई हैं. स्टेज 2 में शेयर में 2 फीसद से ज्यादा का उतार-चढ़ाव नहीं संभव होगा और शेयर को इस कैटेगरी कम से कम एक महीने रहना पड़ेगा. एक महीने इसकी समीक्षा की जाएगी अगर शेयर में 8 फीसद से कम का उतार-चढ़ाव रहेगा तो इसे स्टेज एक में डाला जाएगा. स्टेज 1 में 5 फीसद और 2 फीसद के प्राइस बैंड तय किये गए हैं. यानी शेयर में 5 फीसद से ज्यादा की तेजी या गिरावट नहीं हो सकेगी. कुल मिलाकर 3 महीने के पूरे होने के बाद कंपनियां ESM के दायरे से बाहर निकल जाएंगी.

ये प्रक्रिया सिर्फ़ निजी क्षेत्र की कंपनियों की निगरानी के लिए लाई गई है. ESM ढांचे के तहत शॉर्ट लिस्टिंग की प्रक्रिया में पब्लिक सेक्टर की कंपनियों, पब्लिक सेक्टर के बैंकों और दूसरे शेयरों, जिन पर डेरिवेटिव है उन्हें शामिल नहीं किया जाएगा.

क्यों लाई जा रही ESM प्रक्रिया?
जब भी बाजार में तेजी का रुझान दिखता है तो कुछ ऑपरेटर्स या प्रमोटर्स फटाफट मोटी कमाई के लिए खेल करने में लग जाते हैं. आम खुदरा निवेशक बज़ार की तेज़ी में इनमें निवेश करके फंस जाते हैं. अब ESM के बाद छोटी कंपनियों में शेयरों के भाव की अस्थिरता पर लगाम लगेगी.

Published - June 5, 2023, 03:53 IST