शेयर बाज़ार में मई महीने में जहां निफ्टी-सेंसेक्स में उछाल देखने को मिला वहीं डीमैट खातों की संख्या में भी बढ़त दर्ज हुई है. मई महीने में 21 लाख नए डीमैट खाते खोले गए और इसी के साथ देश में कुल डीमैट खातों का आंकड़ा 11.8 करोड़ हो गया. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार लगातार तीन महीनों की गिरावट के बाद ये बढ़त दर्ज की गई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि लगातार 10 महीनों तक गिरावट के बाद मई में NSE पर सक्रिय उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़कर 3.12 करोड़ हो गई जो अप्रैल में 3.11 करोड़ थी. मई में कारोबारी दिन भी 22 थे जबकि अप्रैल में 17 कारोबारी दिन ही थे. कुल मिलाकर ब्रोकिंग इंडस्ट्री ने पिछले एक साल में सक्रिय ग्राहकों में करीब 1.7 फ़ीसदी की गिरावट देखी.
अगर कुछ प्रमुख ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म्स के आंकड़ों पर नज़र डालें तो ज़ेरोधा ने अपने ग्राहकों की संख्या में मासिक आधार पर 1.1 फीसदी यानी 62 लाख की गिरावट दर्ज की. इस हिसाब से ज़ेरोधा की बाजार हिस्सेदारी में 30 बेसिस प्वाइंट की गिरावट के साथ 19.9 फ़ीसदी की कमी आई. एंजेल वन ने अपने ग्राहकों की संख्या में महीने दर महीने आधार पर 1.2 फीसदी की वृद्धि के साथ 43 लाख नए ग्राहक जोड़े. इस तरह एंजेल वन की बाजार हिस्सेदारी लगभग 10 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी के साथ 13.8 फ़ीसदी हो गई. अपस्टॉक्स ने भी अपने ग्राहकों की संख्या में महीने दर महीने आधार पर 4.5 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज करते हुए 21 लाख की कमी दर्ज की. वहीं अपस्टॉक्स की बाजार हिस्सेदारी में 30 बीपीएस की गिरावट के साथ 6.8 फ़ीसदी की कमी आई है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
स्टॉक मार्केट के एक्सपर्ट एवं शेयर इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. रवि रवि सिंह कहते हैं कि डीमैट खातों में लगातार तीन महीने गिरावट की वजह मंदी का डर और एफडी पर मिलने वाला अच्छा ब्याज रहा. इस वजह से लोगों ने शेयर बाज़ार में निवेश से थोड़ी दूरी बनाई. हालांकि पिछले महीने शेयर बाज़ार ने अच्छा प्रदर्शन किया है. पिछले एक साल में लार्ज कैप, मिड कैप शेयरों ने 30 फ़ीसदी तक का रिटर्न दिया है जिसके बाद एक बार फिर लोगों का शेयर बाज़ार में निवेश का रुझान बढ़ गया. डॉ. सिंह ने कहा कि एक नया वित्त वर्ष शुरू होने के बाद निवेश की ओर कुछ नए लोग आकर्षित होते हैं और इसका असर डीमैट खातों की संख्या में बढ़त के तौर पर दिखाई देता है.