जंग से गरजे डिफेंस शेयर

पहली और दूसरी सूची के नोटिफिकेशन के बाद सेनाओं ने करीब 53,900 करोड़ रुपए के 31 प्रोजेक्‍ट के लिए कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर दस्‍तखत किए हैं.

जंग से गरजे डिफेंस शेयर

इस साल फरवरी में रूस और यूक्रेन की जंग छिड़ी तो भारत के रक्षा हलके में भी बेचैन फैल गईमहंगे तेल और दूसरी चीजों से इतर सरकार और सेना के माथे पर पसीने की एक दूसरी ही वजह थीदरअसलडिफेंस में भारत के रूस और यूक्रेन दोनों से ही रिश्ते हैंदोनों ही देश भारत को डिफेंस इक्विपमेंट और आर्म्स सप्लाई करते हैंऐसे में जब दोनों देश भिड़े तो भारत के लिए S400 एयर डिफेंस सिस्टम से लेकर टैंकोंहेलीकॉप्टरों और सबमरीन्स की सप्लाई और मरम्मत के मोर्चे पर सवाल खड़े हो गए.

इस क्राइसिस ने भारत की डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने की प्रतिज्ञा को और पक्का कर दियाअब भारत ने डिफेंस में आयात में कटौती करने और हथियारटेक्नोलॉजी देश में ही बनाने का फैसला किया तो बाजार में पैसा लगाने वालों के चेहरे पर भी चमक आ गईवजह ये है कि डिफेंस में आत्मनिर्भर बनने की मुहिम से सीधा फायदा इस सेक्टर में काम कर रही कंपनियों को मिलने वाला है.

ये बात इन कंपनियोंं के शेयरों में तेजी के तौर पर दिखाई भी दे रही हैलेकिनशेयरों पर आने से पहले जरा देश के डिफेंस सेक्टर और सरकार की इस सेक्टर में आत्मनिर्भर होने की मुहिम की कहानी को समझ लेते हैंक्योंकि आखिरकार यहीं से ये तय होगा कि आपको इस सेक्टर पर दांव लगाना चाहिए या नहीं तो सबसे पहले तो मौजूदा हालात के मद्देनजर रूस और यूक्रेन पर भारत की निर्भरता को देख लेते हैं.

क्‍या कहते हैं एसआईपीआरआई के  आंकड़े

स्‍टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (SIPRI) के आंकड़े बताते हैं कि 2016 से 2020 के बीच भारत का 49.4% हथ‍ियार आयात रूस से और 0.5% यूक्रेन से आता हैदुनियाभर से रक्षा आयात के हिसाब से देखें तो 2015-19 के दौरान भारत का रक्षा आयात दुनिया का करीब 10 फीसदी बैठता है.

2017-21 के बीच दुनिया के टॉप इंपोर्टर्स भारतसऊदी अरबियाईजिप्टऑस्ट्रेलिया और चीन थेहालांकि, 2011-15 और 2016-20 के दौरान देश में हथियारों का आयात 33 फीसदी घटा है.

अब रक्षा पर दूसरे देशों पर टिके होना सरकारी खजाने और देश की सुरक्षा दोनों के लिए फायदेमंद नहीं हैऐसे में सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैंमसलनमई 2020 में डिफेंस सेक्टर में FDI की लिमिट को 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी कर दिया गया हैअब बजट की बात कर लेते हैं.

2021-22 के लिए टोटल कैपिटल एक्वीजिशन बजट का 58 फीसदी हिस्सा डोमेस्टिक कैपिटल प्रोक्योरमेंट के लिए तय किया गया था. 2021-22 के बजट में डिफेंस कैपिटल आउटले भी 18.75 फीसदी बढ़ाया गया था.

डिफेंस बजट चार लाख पांच हजार करोड़ रुपए से ऊपर रखा गया

अब इस साल के बजट यानी 2022-23 की बात कर लेते हैंमौजूदा फिस्कल के लिए भारत का डिफेंस बजट चार लाख पांच हजार करोड़ रुपए से ऊपर रखा गया हैइसमें डिफेंस पेंशन का पैसा शामिल नहीं है.

ये पैसा बड़े तौर पर आर्म्ड फोर्सेस के मॉडर्नाइजेशन के लिए तय किया गया है. 2022-23 के कैपिटल आउटले को 12.82 फीसदी बढ़ाया गया है और इसके लिए एक लाख बावन हजार करोड़ से ज्यादा का बजट तय किया गया है.

कैपिटल आउटले मोटे तौर पर आर्म्ड फोर्सेज के मॉडर्नाइजेशन में इस्तेमाल होता हैसरकार ने इस साल के बजट में एक और बड़ा कदम उठाया हैरक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए कैपिटल प्रोक्योरमेंट का 68 फीसदी हिस्सा डोमेस्टिक इंडस्ट्री के लिए रखा गया है.

सबसे बड़ी बात ये है कि r&d बजट का 25 फीसदी हिस्सा इंडस्ट्रीस्टार्टअप्स और एक्सपर्ट के लिए तय किया गया हैबजट से हटकर सरकार ताबड़तोड़ इक्विपमेंट्स और हथियारों को इंपोर्ट के दायरे से बाहर कर रही है.

पॉजिटिव इंडिजेशन लिस्‍ट जारी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अप्रैल को 101 इक्‍विपमेंट और प्‍लेटफॉर्म की तीसरी पॉजिटिव इंडिजेशन लिस्‍ट जारी की हैइनकी खरीद सिर्फ स्‍वदेशी इंडस्‍ट्री से की जानी हैइस सूची में नौसेना के यूटिलिटी हेलीकॉप्‍टर्सलाइट टैंकछोटे अनमैन्‍ड एरियल व्हीकल और एंटी श‍िप मिसाइलें शामिल हैंइससे भारत की सेनाओं की जरूरतें पूरी हो सकती हैं.

101 आइटम की लिस्‍ट अगस्‍त 2020 में और 108 आइटम की दूसरी लिस्‍ट मई 2021 में जारी हुई थी यानी सरकार की हथियारों और उपकरणों की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग पर जोर देने का सीधा फायदा कंपनियों को होने वाला हैइनमें से तमाम कंपनियां लिस्टेड भी हैं और ऐसे में इनके इन्वेस्टर्स भी आने वाले दिनों में तगड़ा फायदा उठा सकते हैं.

कंपनियों की वर्किंग कैपिटल होगी मजबूत 

इन कंपनियों की ऑर्डर बुक बेहतर होगी और इस सेक्‍टर की कंपनियों की वर्किंग कैपिटल मजबूत होगीएक्सपर्ट भी इसे लेकर बुलिश हैं. ICICI सिक्‍योरिटीज के रिसर्च एनालिस्‍ट अभ‍िजीत मित्रा ने कहा कि अगले पांच साल में तीसरी सूची के तहत शामिल आइटम्‍स के लिए ही स्‍वदेशी डिफेंस कंपनियों को 21 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा के ऑर्डर मिल सकते हैं.

पहली और दूसरी सूची के नोटिफिकेशन के बाद सेनाओं ने करीब 53,900 करोड़ रुपए के 31 प्रोजेक्‍ट के लिए कॉन्‍ट्रैक्‍ट पर दस्‍तखत किए हैं.

यही नहींकरीब 1,77,300 करोड़ रुपए के 83 प्रोजेक्‍ट के लिए एसेप्‍टेंस ऑफ नेसेसिटी यानी AoN के अनुबंध हुए हैंइसके अलावाअगले से साल में 2,93,700 करोड़ रुपए के और कॉन्‍ट्रैट को मंजूरी मिल सकती हैइस पूरी कवायद का फायदा ये हुआ है कि डि‍फेंस सेक्‍टर से जुड़ी कंपनियों के शेयर गरजने लगे हैं. 6 अप्रैल से 27 अप्रैल के करीब एक बीच इन शेयरों में 32 फीसदी तक की जबरदस्‍त तेजी आई है.

अगर ऑर्डर की बात करें तो इस मामले में भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स सबसे आगे हैउसके पर 24 संभावित ऑर्डर हैंइसके बाद L&T के पास 11, सोलर इंडस्‍ट्रीज के पास 10 और भारत डायनामिक्‍स के पास संभावित ऑर्डर हैं.

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा है कि अगले छह साल में घरेलू कंपनियों के लिए 6.1 लाख करोड़ रुपए का स्‍वदेशीकरण के अवसर हासिल होंगेइस अवसर को भुनाने के लिए सभी छोटीबड़ी कंपनियों को भारी निवेश करना होगा.

HAL के सामने है सबसे बड़ा अवसर 

ग्‍लोबल ब्रोकरेज फर्म CLSA का मानना है कि 101 तरह के डिफेंस सामान के आयात पर लगी रोक से HAL, L&T, BEL और Bharat Dynamics जैसी सक्षम घरेलू कंपनियों को लॉन्‍ग टर्म में करीब 2.14 लाख करोड़ रुपए के कारोबारी अवसर हासिल होंगे. CLSA का कहना है कि वित्‍त वर्ष 2024 से ऑर्डर मिलने शुरू हो जाएंगे और सबसे बड़ा अवसर HAL के सामने है जिसे करीब 21,500 करोड़ रुपए के नौसेना यूटिलिटी हेलीकॉप्‍टर के ऑर्डर मिल सकते हैं.

भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍सहिंदुस्‍तान एयरोनॉटिक्‍स और भारत डायनेमिक्‍स ज्‍यादातर ब्रोकरेज हाउस के पसंदीदा शेयरों में हैंये कंपनियां डिफेंस सेक्‍टर में प्रभावी स्‍थान रखती हैं.

मनीकी सलाह

मनीकी सलाह यह है कि डिफेंस शेयरों में काफी उत्‍साह दिख रहा हैइनमें हाल के दिनों में काफी तेजी आई हैअब इनके ऊंचे स्‍तर पर आपके लिए उतरना मुश्‍किल हो सकता है और समझदारी भी नहीं होगीइसलिए आप किसी वित्‍तीय सलाहकार की राय लें और शेयरों में जब गिरावट आती दिखे तो इनमें लॉन्‍ग टर्म के निवेश रणनीति बनाकर निवेश करें.

Published - May 9, 2022, 05:40 IST