जनवरी के दौरान 10 प्रमुख सब्जियों में से 9 के मंडी भाव में 15-60 फीसद तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यही वजह है कि देशभर में आलू को छोड़कर सभी सब्जियों का खुदरा भाव ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है. उपभोक्ताओं को राजधानी दिल्ली में किसी भी सब्जी के लिए न्यूनतम 40 रुपये प्रति किलोग्राम का भुगतान करना पड़ रहा है.
जनवरी के बाद से नई फसल की आवक बढ़ने के साथ ही निकट भविष्य में सब्जियों की महंगाई कम होने की उम्मीद है. गौरतलब है कि 22 जनवरी तक टमाटर और प्याज का औसत खुदरा भाव 3 महीने के निचले स्तर क्रमश: 32.40 रुपये प्रति किलोग्राम और 38.70 रुपये प्रति किलोग्राम पर था. जानकारों का कहना है कि बेस इफेक्ट कम रहने से सब्जियों की महंगाई डबल डिजिट में रहेगी. महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में सप्लाई संबंधी व्यवधानों की वजह से प्याज और टमाटर के औसत खुदरा भाव में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी. बता दें कि इन राज्यों में इस साल सामान्य से कम बारिश हुई थी.
द इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन कॉम्प्लेक्स चॉइस के प्रोफेसर और सह-संस्थापक अनिल के सूद का कहना है कि 2018 और 2019 में एक जैसी प्रवृत्ति देखने को मिली थी. उन्होंने कहा कि दिसंबर 2018 में सब्जियों की महंगाई दर में -16.4 फीसद की बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी और दिसंबर 2019 में सब्जियों की महंगाई दर में 60.5 फीसद का उछाल दर्ज किया गया था. उनका कहना है कि बेस इफेक्ट के अतिरिक्त सब्जियों में महंगाई मानसून के दौरान अनियमित बारिश के कारण भी देखने को मिलती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 1 जनवरी से 22 जनवरी के दौरान सिर्फ खीरे की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है, जबकि फूलगोभी, बैंगन, पत्तागोभी, टमाटर, फ्रेंच बीन्स, ककड़ी, गाजर, हरी मटर, लौकी और हरे केले के अखिल भारतीय औसत मंडी भाव में 15-60 फीसद का उछाल दर्ज किया गया है.