पुरानी कार खरीदें या नई, ऐसे करें फैसला?

सेकेंड हैंड कार के साथ सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सस्ती पड़ती है. अगर आप सीमित आय वाले व्यक्ति हैं तो अपने जीवन की बड़ी बचत लगाने की जरूरत नहीं होगी.

पुरानी कार खरीदें या नई, ऐसे करें फैसला?

(Photo Credit: TV9 Bharatvarsh)

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सूरज मिडिल क्लास के व्यक्ति हैं.. कार खरीदना चाहते हैं.. बजट सीमित है तो इस बात को लेकर उलझन में हैं कि पुरानी कार लें या फिर थोड़ा इंतजार करें और भविष्य में और पैसे जोड़कर नई कार ही ले लें. सूरज की तरह अगर आप भी नई कार, पुरानी कार, कम बजट, थोड़ा इंतजार जैसी चीजों में उलझे हैं तो ये रिपोर्ट आप ही के लिए है.

सेकेंड हैंड कार का फायदा

पुरानी यानी सेकेंड हैंड कार के साथ सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सस्ती पड़ती है. अगर आप सीमित आय वाले व्यक्ति हैं तो अपने जीवन की बचत को नई कार में लगाना सही नहीं है.. सेकेंड हैंड कार के साथ अच्छी डील मिल जाएगी.. इसे एक उदाहरण से समझते है.. अगर आप नई मारुति स्विफ्ट लेना चाहते हैं तो उसका एक्स शोरूम प्राइस करीब 6 लाख रुपए है..लेकिन सेकेंड हैंड मार्केट में ये कार आपको आधी कीमत पर मिल जाएगी.. हां थोड़े बहुत और कॉम्प्रोमाइज करेंगे तो आप और बेहतर बारगेन कर सकते हैं..

कैसी हो यूज्ड कार?

आप ऐसी यूज्ड कार ढूंढ़ सकते हैं जिनके एक्सटीरियर नए जैसे ही दिखते हों. इसका मतलब है कि आपको ज्यादा खर्च नहीं करना होगा और साथ ही कार के एक्सटीरियर को लेकर कोई कॉम्प्रोमाइज भी नहीं करना होगा. और कार के सही रखरखाव और सर्विस सेंटर में कार को थोड़ा रिफर्बिश कराके उसे नया जैसा ही बना सकते हैं. नए कार ओनर्स को रोड टैक्स, रेजिस्ट्रेशन फीस, RTO फीस भरनी होती है.. वहीं यूज्ड कार बायर्स को सरकार को ऐसी कोई पेमेंट करनी की जरूरत नहीं होती.

नई कार का विकल्प

नई कार की वैल्यू तेजी से डेप्रिसियेट यानी कम होती जाती है. कार की पूरी लाइफ में जो डेप्रिसियेशन होती है, उसकी 20 से 30 परसेंट खरीद के पहले साल में ही हो जाती है. लेकिन कुछ साल बाद डेप्रिसियेशन थम जाती है. यानी जैसे-जैसे साल बीतते जाते हैं, डेप्रिसियेशन रेट गिर जाएगी. इसलिए अच्छी बात ये है कि यूज्ड कार का और डेप्रिसियेशन नहीं होगा. कार खरीदते समय इंश्योरेंस का खर्च एक जरूरी फैक्टर है जिस पर ध्यान देना चाहिए. ज्यादातर मामलों में नई कारों का इंश्योरेंस प्रीमियम पुरानी कारों की तुलना में ज्यादा होता है.. ऐसा इसलिए क्योंकि नई कार का मार्केट प्राइस ज्यादा होता है. यूज्ड कारों के लिए औसतन इंश्योरेंस प्रीमियम में आपको ज्यादा पैसे पे करने नहीं पड़ेंगे.

आपके पास हमेशा सर्टिफाइड यूज्ड कार खरीदने का ऑप्शन रहता है.. मतलब जो सेकेंड हैंड कार आप खरीदते हैं, उसका पहले से इंस्पेक्शन हुआ रहता है. साथ ही कार में रहा कोई भी डैमेज भी हो सकता है कि ठीक कर दिया गया हो. Certified Pre-Owned car या CPO कई सुविधाओं के साथ आता है जैसे कि उसे रिटर्न करने का ऑप्शन, मैनुफैक्चरर वारंटी और रोडसाइड असिस्टेंस.

यूज्ड कार का विकल्प कितना सही?

एक फायदा वारंटी से जुड़ा भी है. सेकेंड हैंड कार को लेकर बाजार में पूरी ट्रांसपरेंसी है. आप जो कार खरीदना चाहते हैं, उसकी सर्विस हिस्ट्री जान सकते हैं. आप जिस डीलरशिप से कार खरीदते हैं, वो आपको फुल या पार्शियल वारंटी दे सकता है. वारंटी में अधिकतर इंजन डैमेज शामिल हो सकता है. साथ ही डीलरशिप अगर आपकी कार को ठीक नहीं कर पाएं तो शायद रिप्लेसमेंट भी कर सकते हैं. सेकेंड हैंड कार पर 3 साल तक की वारंटी मिल सकती है. अब सवाल उठता है कि क्या सेकेंड हैंड कार खरीद हर लिहाज से सही है तो ऐसा नहीं हैं. कुछ दिक्कतें हैं जैसे कि सेकेंड हैंड कार के साथ एक दिक्कत माइलेज की है. नई कार की तुलना में एवरेज माइलेज हमेशा ही कम होगा. मेंटेनेंस पर होने वाला खर्च भी ज्यादा होगा. साथ ही वो फीचर्स नहीं मिलेंगे जो उसी कार के नए वर्जन में मिलेंगे. तो आप इन तमाम पहलुओं और अपने बजट पर ध्यान देकर सेकेंड हैंड कार खरीदने का फैसला कर सकते हैं.

Published - May 4, 2023, 08:20 IST