आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा कि ज़रूरत आपको कम गोलियों या कैप्सूल की होगी लेकिन आपको उसका पूरा पत्ता खरीदना पड़ा होगा. लेकिन अब जल्द ही ये सूरत बदल सकती है. सरकार ने दवाओं की बेवजह होने वाली खरीद और बर्बादी को रोकने के लिए एक योजना तैयार की है. इस संबंध में उपभोक्ता मामलों के विभाग ने, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) के अधिकारियों और फार्मा-मेडिकल उपकरण उद्योग के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के साथ मिलकर एक बैठक की. इस बैठक में दवाओं के लिए नई पैकिंग तकनीक तलाशने का सुझाव दिया गया है.
अभी क्या होती है परेशानी?
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर ऐसी शिकायतें मिली थीं कि डॉक्टर ने दवाई की एक-दो खुराक लेने के लिए पर्चे में लिखा था लेकिन जब उपभोक्ता केमिस्ट की दुकान पर उस दवा की सिर्फ़ दो खुराक लेने जाते हैं तो उसको 10 गोलियों या कैप्सूल वाला दवाई का पूरा पत्ता खरीदने के लिए कह दिया. यहां केमिस्ट की दलील होती है कि दवाई का पत्ता कट गया तो वो बिक नहीं पाएगा और दवा काटकर देने के चक्कर में एक्सपायरी डेट भी उसके साथ कट गई तो भी उसे कोई खरीदेगा नहीं. दवा बेचने वालों की एक परेशानी ये भी है कि महंगी दवाओं के पत्ते कटने की वजह से कई बार फ़ार्मा कंपनियां उन्हें वापस लेने से मना कर देती हैं ऐसे में इसका घाटा उन्हें ही सहना पड़ता है. वहीं उपभोक्ताओं के पास भी बेवजह खरीदी गईं दवाएं बर्बाद हो जाती हैं और उनका भी आर्थिक नुकसान होता है.
सरकार ने क्या सुझाया समाधान?
सरकार ने तय किया है कि अब दवा के पत्ते पर हर गोली के पीछे मैन्यूफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट दी जाएगी. साथ ही दवा के पत्ते के दोनों तरफ या हर टैबलेट पर क्यूआर कोड (QR Code) दिया जाएगा जिसमें दवा के साल्ट और ज़रूरी जानकारी से लेकर मे मैन्यूफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट होगी. सरकार ने इस तरह की पैकिंग करने में भी नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने की सलाह दी है ताकि एक या दो गोलियों या कैप्सूल देना पड़े तो उसे निकालना आसान हो. सरकार ने कहा है कि इस नई तरह से पैकिंग में खर्चा ज़रूर बढ़ेगा लेकिन इससे दवाओं की बर्बादी रोकी जा सकेगी.