सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को अगले पांच साल के लिए बढ़ा दिया है. 2028 तक योजना को चलाने के लिए 11 लाख करोड़ रुपए के बजट की जरूरत होगी. पीएमजीकेएवाई के तहत मौजूदा समय में 813 मिलियन लोगों को हर महीने 5 किलोग्राम अनाज मुफ्त प्रदान किया जा रहा है. बता दें कि मुफ्त राशन योजना दिसंबर 2023 को खत्म हो रही थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को छत्तीसगढ़ में एक चुनावी रैली में इस योजना अगले पांच साल के लिए बढ़ाने का ऐलान किया.
कैबिनेट कमेटी जल्द दे सकती है मंजूरी
आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी जल्द ही पीएमजीकेएवाई के विस्तार को मंजूरी दे सकती है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अनाज की आर्थिक लागत में किसानों को एमएसपी का भुगतान, भंडारण, परिवहन और अन्य लागत शामिल है. पीएमजीकेएवाई के तहत खाद्य सब्सिडी की वजह से सरकार का सालाना खर्च मौजूदा कीमतों पर करीब 2 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है. बता दें कि पिछले दो वित्तीय साल से धान और गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य में सालाना 5-7 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. 2023-24 के लिए चावल और गेहूं के लिए एफसीआई की आर्थिक लागत बढ़कर 39.18 रुपए प्रति किलोग्राम और 27.03 रुपए प्रति किलोग्राम होने का अनुमान है. 2021-22 में आर्थिक लागत क्रमशः 35.62 रुपए प्रति किलोग्राम और 24.67 रुपए प्रति किलोग्राम थी.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले हफ्ते दुर्ग (छत्तीसगढ़) में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि उनकी सरकार की मुफ्त राशन योजना- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है. इस घोषणा से लगभग 80 करोड़ लोगों को लाभ होगा. मुफ्त अनाज योजना की शुरुआत कोविड महामारी के दौरान लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के लिए की गई थी, तब से यह योजना जारी है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 और 2024-25 के दौरान मुफ्त खाद्यान्न योजना के विस्तार के कारण कोई बड़ा राजकोषीय असर नहीं होगा.