भारत में डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. अब डिजिटल भुगतान और भी आसान हो जाएगा. दरअसल, अब आपको अपनी स्थानीय भाषा में भुगतान का विकल्प मिलेगा. दरअसल, भारत में करीब 30 करोड़ लोग फीचर फोन का इस्तेमाल करते हैं जो डिजिटल पेमेंट के लिए इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पांस सिस्टम (IVRS) का उपयोग करते हैं जिसमें कई जटिलताएं हैं. ऐसे में, एआई4भारत (AI4Bharat) और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) साथ मिलकर डिजिटल पेमेंट की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए नए विकल्प पर काम कर रहे हैं. इसके तहत अपनी क्षेत्रीय भाषा में बोलकर भुगतान करने की सुविधा मिलेगी. इससे डिजिटल पेमेंट करने वालों की राह काफी हद तक आसान हो जाएगी.
अलग-अलग भाषाओं में बैंकिंग सुविधा
भारत में कई तरह की भाषाएं बोली जाती हैं. अलग-अलग क्षेत्रों के भाषा के हिसाब से अब एआई4भारत देश में भाषा मॉडल पेश करने वाला है. अभी स्मार्टफोन उपयोगकर्ता एक क्यूआर कोड स्कैन कर सकते हैं और पैसे भेज सकते हैं. लेकिन जो लोग फीचर फोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं, उनके पास केवल आईवीआरएस का इस्तेमाल करने का विकल्प होता है. नए विकल्प से यूजर्स को बड़ी राहत मिलेगी. इसमें आपको आपके क्षेत्रीय भाषा में सुविधाएँ मिलेंगी. इससे बैकिंग सुविधा और आसान हो जाएगी, और डिजिटल पेमेंट में बढ़ोतरी भी होगी.
यूजर्स को होगा बड़ा फायदा
एक्सपर्ट का कहना है कि इस तकनीक से फीचर फोन यूजर्स को यूपीआई जैसे इनोवेशन का फायदा मिलेगा. अब तक देशभर में अलग-अलग भाषाओं के लिए चयन करना पड़ता था. जैसे हिंदी के लिए एक दबाएं, इंग्लिश के लिए दो दबाएं. यानी आपको किसी एक काम के लिए कई बार अपने मोबाइल के बटन दबाने पड़ते हैं. इसमें समय भी ज्यादा लगता है. लेकिन इस नए विकल्प में आपको इन सबसे राहत मिल जाएगी. इसमें अपने ट्रांजैक्शन को पूरा करने के लिए यूजर्स को किसी थर्ड पार्टी ऐप या स्थिर इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत नहीं होगी.
NPCI ने की साझेदारी
NPCI, भारत में खुदरा भुगतान और निपटान प्रणाली के संचालन के लिए AI4Bharat के साथ काम कर रहा है. AI4Bharat भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), मद्रास में स्थित एक ओपन-सोर्स लैंग्वेज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) केंद्र है, जो वॉयस-आधारित मर्चेंट भुगतान की सुविधा देती है. साथ ही स्थानीय भाषाओं में लेनदेन को आसान बनाने पर भी काम कर रही है.
कोई अधिकारिक बयान नहीं
हालांकि अब तक इस पर कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है. आरबीआई, एनपीसीआई और एआई4भारत ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की. इससे पहले ये खबर आई थी कि NPCI कम कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में फीचर फोन उपयोगकर्ताओं के लिए एक आवाज-आधारित भुगतान सेवा का परीक्षण कर रहा है, और यह सेवा इंटरऑपरेबल UPI प्रोटोकॉल के शीर्ष पर शुरू होने की संभावना है.
क्या कहती है रिपोर्ट?
भारत और यूएस-आधारित बाजार अनुसंधान और परामर्श कंपनी ग्रैंड व्यू रिसर्च के अनुसार, वैश्विक स्तर पर आवाज-आधारित भुगतान बाजार का आकार 2021 में $5.89 बिलियन था जबकि 2022-23 में इसमें 10.9% की बढ़ोतरी की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बार्कलेज और रॉयल बैंक ऑफ कनाडा जैसे कई बैंकों ने अपने ग्राहकों को पी2पी भुगतान की पेशकश शुरू कर दी है.