खराब मौसम ने भारत में थाली के जायके को फीका कर दिया है. टमाटर और प्याज की बढ़ती कीमतों के चलते शाकाहारी थाली की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी हुई है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक नई रिपोर्ट जारी की है. क्रिसिल की इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में भोजन की थाली लगातार महंगी हो रही है. देश में शाकाहारी थाली की कीमत जून की तुलना में जुलाई में 34 प्रतिशत बढ़ गई है. इसकी बड़ी वजह खाद्य पदार्थों की लगातार बढ़ती कीमतें हैं. क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार इस बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण टमाटर है जिसका थाली की महंगाई में 25 प्रतिशत का योगदान बताया जा रहा है.
टमाटर ने बिगाड़ा जायका
दरअसल, जुलाई में टमाटर की कीमत में बड़ी बढ़ोतरी हुई. जून में 33 रुपए प्रति किलोग्राम बिक रहा टमाटर जुलाई में 233 फीसद की बड़ी बढ़ोतरी के साथ 110 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई. इतना ही नहीं, देश के कई क्षेत्रों में टमाटर की कीमत 300 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई. इसके बाद सरकार ने थोड़ी राहत देते हुए सस्ते दाम में टमाटर बेचना शुरू किया. सरकार ने पहले 90 रुपए प्रति किलोग्राम से टमाटर की बिक्री शुरू की जो बाद में कटौती कर 70 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई. सब्जियों के अलावा, मसालों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है, जिससे थाली की कीमतों पर असर पड़ा है.
महंगी हुई शाकाहारी थाली
यह लगातार तीसरी बार है जब शाकाहारी थाली की कीमतें बढ़ी हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि बस शाकाहारी थाली कि कीमत में बढ़ोतरी हुई है. मांसाहारी थाली की कीमतों में भी इजाफा हुआ है लेकिन शाकाहारी थाली की तुलना में कम. क्रिसिल ने अपनी इस रिपोर्ट में उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत के लागत की कीमतों के आधार पर घर पर थाली तैयार करने की औसत कीमत की गणना की है. हर महीने बढ़ती महंगाई से आम आदमी के खर्च पर बोझ बढ़ रहा है. इस रिपोर्ट के अनुसार, अनाज, दालें, ब्रॉयलर, सब्जियां, मसाले, खाद्य तेल और रसोई गैस सहित ऐसी सभी सामग्रियां जो किचन और थाली को प्रभावित करते हैं उनकी कीमतों में बढ़ोतरी का पता चलता है.
शाकाहारी थाली में रोटी, सब्जियां (प्याज, टमाटर और आलू), चावल, दाल, दही और सलाद शामिल होते हैं. मानसून के चलते लगभग इन सभी चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. मांसाहारी थाली के लिए दाल की जगह चिकन पर विचार किया गया है. क्रिसिल की रिपोर्ट के अनुसार, ‘प्याज और आलू की कीमतों में महीने-दर-महीने क्रमशः 16 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे लागत में और बढ़ोतरी हुई है.’