Share Market: देश के शेयर बाजारों (Share Market) में मंगलवार को कारोबार सीमित दायरे में रहा और बीएसई सेंसेक्स तथा एनएसई निफ्टी दोनों में मामूली गिरावट रही.
इसके साथ निफ्टी में पिछले सात कारोबारी सत्रों से जारी तेजी पर विराम लग गया.
वैश्विक बाजारों में मजबूत रुख के बावजूद निवेशकों की मुनाफावसूली से बाजार में गिरावट रही.
विश्लेषकों के अनुसार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट और आर्थिक आंकड़े संतोषजनक नहीं रहने से निवेशक बाजार से दूर रहे.
तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स में मंगलवार को पिछले चार कारोबारी सत्रों से जारी तेजी पर विराम लगा और यह कारोबार की समाप्ति पर 2.56 अंक की मामूली गिरावट के साथ 51,934.88 अंक पर बंद हुआ.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 7.95 अंक यानी 0.05 प्रतिशत की हल्की गिरावट के साथ 15,574.85 अंक पर बंद
सेंसेक्स में शामिल शेयरों में सबसे ज्यादा नुकसान में आईसीआईसीआई बैंक रहा. इसमें 1.80 प्रतिशत की गिरावट रही. इसके अलावा अल्ट्राटेक सीमेंट, एशियन पेंट्स, आईटीसी, कोटक बैंक, एक्सिस बैंक, पावर ग्रिड और इन्फोसिस भी नुकसान में रहे.
दूसरी तरफ, ओएनजीसी में सर्वाधिक 3.52 प्रतिशत की तेजी रही. कच्चे तेल का दाम 70 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने के साथ कंपनी का शेयर चढ़ा है.
इसके अलावा बजाज फाइनेंस, भारतीय स्टेट बैंक, बजाज ऑटो और एचडीएफसी के शेयर भी लाभ में रहे. इनमें 2.93 प्रतिशत तक की तेजी आयी.
रिलायंस सिक्योरिटीज के रणनीति प्रमुख विनोद मोदी ने कहा, ‘‘सकारात्मक वैश्विक रुख के बावजूद मानक सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी स्थिर बंद हुए.
दवा कंपनियों को छोड़कर ज्यादातर प्रमुख खंडवार सूचकांक नुकसान में रहे.’’
उन्होंने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज को लेकर निवेशकों में आकर्षण बना हुआ है और इससे सूचकांक में कोई बड़ी गिरावट नहीं आयी.
मझोले और छोटी कंपनियों के शेयरों में पिछले एक-दो दिन की तेजी के बाद मुनाफावसूली की गयी.
एलकेपी सिक्योरिटीज के शोध प्रमुख एस रंगनाथन ने कहा, ‘‘शेयर बाजार सीमित दायरे में रहे और स्थिर बंद हुए. उन्होंने कहा, ‘‘बाजार में हमने कुछ कपड़ा और दवा कंपनियों में निवेशकों की रूचि देखी.’’
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर और मांग पर इसके हानिकारक प्रभाव से मई 2021 के दौरान विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में गिरावट देखने को मिली.
आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) मई में गिरकर 50.8 पर आ गया, जो अप्रैल में 55.5 पर था. इस दौरान कंपनियों के पास नया काम और उत्पादन पिछले 10 महीनों में सबसे कम था.
देश की अर्थव्यवस्था में मार्च 2021 को समाप्त वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.
हालांकि, यह गिरावट पूर्व में जताये गये विभिन्न अनुमानों से काफी कम है. इसका कारण कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से ठीक पहले चौथी तिमाही में वृद्धि दर का कुछ बेहतर रहना है.
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2020-21 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 1.6 प्रतिशत रही. यह इससे पिछली तिमाही अक्टूबर-दिसंबर, 2020 में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है.
तेल के दाम में तेजी के बावजूद वैश्विक स्तर पर शेयर बाजारों में तेजी रही. एशिया के अन्य बाजारों में शंघाई, हांगकांग और सोल लाभ में रहे.
जबकि टोक्यो में गिरावट दर्ज की गयी. यूरोप के अन्य प्रमुख बाजारों में शुरुआती कारोबार में तेजी का रुख रहा.
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 2.01 प्रतिशत बढ़कर 70.72 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 28 पैसे टूटकर 72.90 पर बंद हुआ.