स्टॉक मार्केट में पैसा लगाते हैं तो जानिए क्या है ADR, GDR और IDR

बहुराष्ट्रीय कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए 'डिपॉजिटरी रिसीट' का इस्तेमाल करती हैं और देश के बाहर से विदेशी मुद्रा में पैसे जुटाती हैं.

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Pixabay - अपने लिए बेहतर इक्विटी म्यूचुअल फंड चुनने का काम कठिन है, लेकिन यहां बताए गए 9 तरीकों से ये कठिन काम आसान हो सकता है.

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अगर आप स्टॉक एक्सचेंज पर नजर रखते हैं तो मुमकिन है कि ADR, GDR और IDR जैसे शब्दों से वाकिफ हों, लेकिन भारत में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जो स्टॉक मार्केट में पैसे लगाने के बाद भी इन जैसे शब्दों के मतलब से अनजान हैं. ADR और GDR का मतलब क्या है? यह IDR से किस तरह अलग हैं? बहुराष्ट्रीय कंपनियां पूंजी जुटाने के लिए किस तरह इनका इस्तेमाल करती हैं? यहां हम इन्हीं सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहे हैंः

कॉरपोरेट जगत में पूंजी जुटाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए जाते हैं. ऐसा ही एक प्रचलित तरीका है ‘डिपॉजिटरी रिसीट’ जिनके जरिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां देश के बाहर से विदेशी मुद्रा में वित्तीय संसाधन जुटाती हैं. दअरसल, डिपॉजिटरी रिसीट (DR) ऐसी सिक्योरिटीज होती हैं जिन्हें भारत से बाहर एक डिपॉजिटरी बैंक किसी भारतीय कंपनी की तरफ से जारी करता है. ये नेगोशिएबल सिक्योरिटी होती है. इसका मतलब यह है कि शेयर या बॉन्ड की तरह इनको खरीदा और बेचा जा सकता है.

एडीआर (ADR) क्या है?

ADR का मतलब “American Depository Receipt” है. इसे अमेरिकन डिपॉजिटरी शेयर्स भी कहते हैं. यह एक स्टॉक है, जिसका कारोबार अमेरिकन एक्सचेंज पर किया जाता है. ज्यादातर अमेरिकी कंपनियां यहां अपना कारोबार करती हैं या फिर बिजनेस में निवेश करती हैं.

कुछ गैर-अमेरिकी कंपनियां भी वहां के एक्सचेंज पर कारोबार कर रही हैं. इसमें भारतीय कंपनी टाटा मोटर्स, HDFC बैंक, डॉ. रेड्डीज लैब, विप्रो और इंफोसिस आदि शामिल हैं.

मान लीजिए कोई भारतीय कंपनी जैसे इंफोसिस ADR जारी करती है. अमेरिकी शेयर बाजार जैसे न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज पर कोई भी अमेरिकी निवेशक उस ADR को खरीद सकता है. इस तरह भारतीय कंपनियों के लिए ADR विदेश से पूंजी जुटाने का माध्यम होता है, वहीं अमेरिकी निवेशकों के लिए यह विदेश में जाए बैगर और विदेशी मुद्रा खरीदे बिना ही विदेशी सिक्योरिटीज में निवेश करने का जरिया होता है.

जीडीआर (GDR) क्या है?

GDR का फुलफार्म “Global Depository Receipt” है. यह भी एक तरह का प्रमाणपत्र है, जो ओवरसीज डिपॉजिटरी बैंक द्वारा जारी किए जाते हैं. यह अनिवासी निवेशकों के लिए होता है, जो इंटरनेशनल लेवल पर किसी भी देश के स्टॉक मार्केट में निवेश कर कर सकते हैं.

मिसाल के तौर पर, अगर भारत की किसी कंपनी को अमेरिका के अलावा दूसरे किसी भी देश के स्टॉक मार्केट में निवेश करना हो तो उसके पास इसके लिए GDR होना जरूरी है. यह सामान्य शेयर या फॉरेन करेंसी कन्वर्टिबल बॉन्ड (FCCB) जारी करने वाली कंपनी के शेयर के आधार पर जारी किया जाता है. GDR की ट्रेडिंग सामान्यतः फ्रैंकफर्ट स्टॉक एक्सचेंज, लग्जमबर्ग स्टॉक एक्सचेंज और लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर होती है.

आईडीआर (IDR) क्या है?

ADR, GDR की तरह अगर कोई विदेशी कंपनी भारतीय शेयर बाजार से पूंजी जुटाना चाहती है तो वह IDR यानी इंडियन डिपॉजिटरी रिसीट जारी कर सकती है. IDR रुपये में होता है. जो घरेलू डिपॉजिटरी सेबी के पास पंजीकृत होती हैं वे उस कंपनी के शेयर के बदले में IDR जारी कर सकती हैं जो भारतीय शेयर बाजार से पूंजी जुटाना चाहती हैं.

Published - June 8, 2021, 01:07 IST