Stock Market: वित्त वर्ष 2021 में भारतीय शेयर बाजार ने कोरोना महामारी और अर्थव्यवस्था पर उसके असर के बावजूद बेहतरीन रिटर्न दिए हैं. पर वहीं देश में बढ़ते कोविड-19 मामलों के साथ क्या अब भी इक्विटी पर बुलिश होना सही है? बिल्कुल. एनालिस्ट्स मानते हैं कि बेंचमार्क इक्विटी इंडेक्स नए वित्त वर्ष में 15 फीसदी की बढ़त हासिल कर सकते हैं. यही वजह है कि वे निवेशकों को अन्य एसेट क्लास के मुकाबले इक्विटी में निवेश बनाए रखने की सलाह दे रहे हैं.
कैपिटलवाया ग्लोबल रिसर्च के रिसर्च हेड गौरव गर्ग का कहना है कि 35 साल से कम उम्र के निवेशक लंबी अवधि के लिए इक्विटी में बड़ा निवेश कर सकते हैं. उनका मानना है कि ऐसे निवेशक सीधे इक्विटी में 65 फीसदी निवेश कर सकते हैं, फिक्स्ड इनकम विकल्पों में 15 फीसदी और बाकी एक्सपोजर गोल्ड में किया जा सकता है. उम्र बढ़ने के साथ इक्विटी में निवेश घटाते जाना चाहिए और डेट कैटेगरी की ओर एलोकेशन बढ़ाते रहना चाहिए.
वित्त वर्ष 2021 में सेंसेक्स 68 फीसदी यानि 20,000 अंक उछला है. मार्केट एनालिस्ट्स ने साल 2020-21 को कोरोना संकट की वजह से एक रोलर-कोस्टर राइड जैसा बताया है – घरेलू और ग्लोबल बाजार (Stock Market) दोनों में. वित्त वर्ष की अंत की ओर जिस तरह से बाजार में रिकवरी आई है उससे निवेशकों की जोरदार कमाई हुई है. वहीं दूसरी तरफ गोल्ड की कीमतें सिर्फ 8 फीसदी चढ़ी हैं. 10 ग्राम सोने का भाव 8 फीसदी चढ़कर 44,106 रुपये तक पहुंचा है. सोने ने प्रति 10 ग्राम 55,922 रुपये का रिकॉर्ड बनाया था.
30 शेयरों का सूचकांक सेंसेक्स, वित्त वर्ष 2021-22 के पहले दिन 36 अंक या यूं कहें कि 0.07 फीसदी बढ़त लेकर 49,545 पर बंद हुआ. गर्ग का कहना है कि इस वित्त वर्ष के अंत तक इंडेक्स 56,300 तक जा सकता है.
कोटक सिक्योरिटीज के फंडामेंटल रिसर्च हेड और एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट रुस्मित ओजा के मुताबिक कंपनियों के तिमाही नतीजे, अंतरराष्ट्रीय बाजार में बॉन्ड यील्ड और FPI निवेश छोटी से मध्यम अवधि में इक्विटी मार्केट (Stock Market) की चाल तय करेंगे. लार्जकैप में 60 फीसदी और मिडकैप और स्मॉलकैप में 20-20 फीसदी निवेश रखा जा सकता है. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए उन्होंने SBI लाइफ इंश्योरेंस, भारती एयरटेल, L&T, कल्पतरू पावर ट्रांसमिशन और एस्कॉर्ट्स में निवेश करने की सलाह दी है.
क्या ऐसे सुस्त इंट्रस्ट रेट के माहौल में निवेशकों को फिक्स्ड डिपॉजिट का रुख करना चाहिए? FYERS के रिसर्च हेड कोपाल कवलीरेड्डी का कहना है कि एसेट एलोकेश हर निवेशक के लिए अलग होता है – उनकी उम्र, जोखिम लेने की क्षमता, निवेश का नजरिया, आर्थिक क्षमता के आधार पर. मौजूदा स्थिति में निवेश के विकल्प सिमट गए हैं.
पिछले 18 महीनों में घटते इंट्रस्ट रेट से 1 साल के फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर 5 फीसदी तक आ गई है जबकि महंगाई 6 फीसदी की ओर बढ़ चला है. रिजर्व बैंक और सरकार ने ग्रोथ को प्राथमिकता दी है जिससे वित्त वर्ष 2021-22 में भी ब्याज दरें नीचे रहेंगी. ऐसे में निकट भविष्य में निवेश के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट को नजरअंदाज किया जा सकता है.
BNP परिबा के शेयरखान के कैपिटल मार्केट स्ट्रेटेजी हेड और SVP गौरव दुआ कहते हैं, भले ही एसेट एलोकेशन निवेशक की रिस्क प्रोफाइल पर आधारित होता है, पर आम तौर पर इक्विटी में 60 फीसदी और 40 फीसदी फिक्स्ड इनकम और गोल्ड जैसे अन्य एसेट में निवेश किया जा सकता है.