महज 150 रुपये के साथ इस तरह से करें स्मॉलकेस में निवेश

स्मॉलकेस आमतौर पर 12-15 शेयरों को एकसाथ मिलाकर तैयार की गई बास्केट होते हैं ताकि एक पोर्टफोलियो तैयार किया जा सके.

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स्टॉक्स में निवेश का एक तरीका इन दिनों उभर रहा है. इसमें निवेशकों को स्मॉलकेस के जरिए थीम आधारित या डायवर्सिफाइड स्टॉक्स की कस्टमाइज्ड बास्केट में निवेश का मौका मिलता है. स्मॉलकेस आमतौर पर 12-15 शेयरों को एकसाथ मिलाकर तैयार की गई बास्केट होते हैं ताकि एक पोर्टफोलियो तैयार किया जा सके. ये खासतौर पर ऐसे निवेशकों के लिए होते हैं जो कि स्टॉक आधारित निवेश के जरिए लंबे वक्त में ज्यादा रिटर्न हासिल करना चाहते हैं. इनमें आप 150 रुपये के साथ ही निवेश की शुरुआत कर सकते हैं.

म्यूचुअल फंड नहीं हैं स्मॉलकेस
म्यूचुअल फंड्स की तरह से ही स्मॉलकेस भी एकसाथ इकट्ठा किए गए थीम आधारित या डायवर्सिफाइड स्टॉक्स हो सकते हैं. इक्विटी ट्रेडेड फंड्स (ETF) की तर्ज पर ही ये भी इंडेक्स स्टॉक्स हो सकते हैं. लेकिन, म्यूचुअल फंड्स या ETF से उलट स्मॉलकेस में इनवेस्टर यूनिटहोल्डर की बजाय एक शेयरहोल्डर होता है. इसका मतलब है कि इनवेस्टर को उसके डीमैट खाते में स्मॉलकेस के तौर पर इंडीविजुअल स्टॉक्स मिलते हैं.

इस तरह के स्मॉलकेस फंड्स तैयार करने वाली बेंगलुरु बेस्ड फिनटेक स्टार्टअप स्मॉलकेस के फाउंडर और सीईओ वसंत कामथ कहते हैं, “म्यूचुअल फंड्स या ETF या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज (PMS) की तरह से ही स्मॉलकेस स्टॉक्स का एक पोर्टफोलियो होता है. स्मॉलकेस के मामले में ये स्टॉक्स की बास्केट या ETF होते हैं जिन्हें सेबी में रजिस्टर्ड प्रोफेशनल तैयार करते हैं और मैनेज करते हैं.”

वे कहते हैं, “स्मॉलकेस और दूसरे इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट के बीच अंतर ये है कि इसमें इनवेस्टर्स के पास उनके स्टॉक्स डीमैट खाते में मौजूद होते हैं. इसमें पूरी तरह से पारदर्शिता होती है और इनवेस्टर्स अपनी मर्जी के मुताबिक स्टॉक्स चुन सकते हैं. वे स्टॉक्स के कंपोजिशन को भी बदल सकते हैं.”

इसका मतलब ये है कि अगर किसी कैटेगरी में इनवेस्टर को कोई स्टॉक्स अच्छा लगता है तो वह उस स्टॉक में अपना एक्सपोजर बढ़ा सकता है. इसी तरह से निवेशक अगर किसी स्टॉक को हटाना चाहे तो वो ऐसा भी कर सकता है.

स्मॉलकेस में कैसे कर सकते हैं निवेश?
जिस तरह से स्टॉक्स में सीधे ट्रेडिंग की जाती है वैसे ही स्मॉलकेस की भी एक्सचेंजों के जरिए ट्रेडिंग होती है. ट्रेडिंग अकाउंट और डीमैट अकाउंट की जरूरत आपको इसके लिए पड़ती है. इसके जरिए इनवेस्टर अपने स्टॉक्स खरीद और बेच सकता है. दूसरी ओर, डीमैट अकाउंट में निवेशक के स्टॉक्स आते हैं. मौजूदा वक्त में जेरोधा, अपस्टॉक्स और एंजेल ब्रोकिंग समेत 12 ब्रोकर्स स्मॉलकेस में निवेश की सुविधा दे रहे हैं.
एक बार निवेश किए जाने के बाद स्मॉलकेस बास्केट में मौजूद हर शेयर निवेशक के डीमैट खाते में आ जाता है और इसकी इंडीविजुअल तौर पर ट्रेडिंग की जा सकती है.

इससे ऐसे निवेशकों को मदद मिलती है एक निश्चित अंतराल पर कुछ चुनिंदा स्टॉक्स को खरीदने को तवज्जो देते हैं. इससे निवेशकों को सीधे स्टॉक खरीदने की बजाय वैल्यू जोड़ने में मदद मिलती है. इनवेस्टर्स चुने गए स्मॉलकेस में SIP का विकल्प भी चुन सकते हैं.

क्या इनमें लिक्विडिटी होती है?
स्मॉलकेस स्टॉक्स की तरह ही होते हैं. इनमें कोई लॉकइन पीरियड नहीं होता है और स्मॉलकेस इनमें मौजूद स्टॉक्स के जैसे ही लिक्विड होते हैं. फिलहाल ज्यादातर निवेशक इसे एक लॉन्ग-टर्म इनवेस्टमेंट टूल के तौर पर देखते हैं. वे स्टॉक्स की अपनी बास्केट को खरीदते और होल्ड करते हैं.

क्या इनमें निवेश महंगा होता है?
स्मॉलकेस स्टॉक्स की कीमत पर ही आते हैं. बस कुछ स्टॉक्स में रिसर्च की फीस जोड़ी जाती है. यह एक फिक्स्ड एनुअल फ्लैट फीस हो सकती है या फिर निवेश का एक निश्चित फीसदी रकम हो सकती है. कामत के मुताबिक, रिसर्च फीस सालाना 5-10,000 रुपये या निवेश की रकम का 1-2 फीसदी हो सकती है.

किन्हें इस तरीके से निवेश करना चाहिए?
स्मॉलकेस में सीधे स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड के मुकाबले कस्टमाइज करने की सहूलियत मिलती है. जो निवेशक सीधे स्टॉक्स खरीदते हैं उन्हें इससे डायवर्सिफिकेशन के साथ पोर्टफोलियो तैयार करने में मदद मिलती है.

इसमें न्यूनतम टिकट साइज क्या है?
कामत कहते हैं कि आप 150 रुपये के साथ भी इसमें निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. इसमें निफ्टी 50 और निफ्टी नेक्स्ट 50 इंडेक्स वाला पोर्टफोलियो होता है.

Published - April 11, 2021, 03:16 IST