आमतौर पर अप्रैल इतना गर्म नहीं होता जितना इस साल है. पारा माने अपनी हद तोड़ देने को बेकरार है. अभी से ही 45-46 डिग्री की गर्मी है और पसीना पानी की तरह बह रहा है. अब तो पंखे, कूलर भी आपका पसीना रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं. AC कितनों के पास हैं इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. अब ऐसी जान निकालने वाली गर्मी में लाइट भी न हो तो समझिए दिल-दिमाग सब हिल जाता है. लेकिन, हकीकत ये है कि इस वक्त पूरा देश एक बड़े बिजली संकट से गुजर रहा है.
तमाम कोशिशों के बावजूद ऐसा लग रहा है कि आने वाले मई-जून और जुलाई भी आपको लंबे पावर कट के बीच दिन और रातें गुजारने पड़ सकते हैं. अब ऐसा क्यों हो रहा है इस पर आते हैं.
ये चर्चा करने से पहले आप ये जानकार जरूर गुस्सा होंगे कि आखिर सरकारें गुजरे वक्त के संकटों से सबक क्यों नहीं लेती हैं. क्योंकि ज्यादा वक्त नहीं बीता है जबकि देश ऐसे ही एक
पावर क्राइसिस की जद में चला गया था. तब भी कोयले की किल्लत हुई थी और आज भी ऐसे ही हालात हैं. इस दफा मुश्किल इस वजह से ज्यादा लग रही है क्योंकि गर्मी के चलते पावर डिमांड अपने पीक पर है और बिजलीघरों को कोयला नहीं मिल पा रहा है.
पिछले साल कोविड की दूसरी लहर के दौरान जो हालात अस्पतालों के सामने ऑक्सीजन को लेकर थे. वैसा ही कुछ मामला अब बिजली को लेकर है. मतलब, अस्पतालों तक को बिजली की सप्लाई की जद्दोजहद करनी पड़ रही है. हालात ऐसे हैं कि सरकार के भी हाथ-पैर फूले हुए हैं.
देश में बिजली की डिमांड रिकॉर्ड स्तर को पार कर गई है. अब आलम ये है कि देश के 173 पावर प्लांट में से 105 में कोयला खत्म होने की कगार पर है. कोयले का मौजूदा स्टॉक अपने तय लेवल के 25% से भी कम रह गया है. अब एक तरफ कोयला नहीं है और दूसरी तरफ बिजली डिमांड रिकॉर्ड तोड़े दे रही है.
26 अप्रैल को अधिकतम पावर डिमांड 201 गीगावॉट को पार कर गई. पिछले साल 7 जुलाई को देश में अधिकतम पावर डिमांड 200 गीगावॉट के करीब थी. बिजली की मांग का ये आलम तब है जब अभी अप्रैल भी खत्म नहीं हुआ है. अगर ऐसा ही हाल रहा तो मई और जून में ये मांग बढ़कर 215-220 गीगावॉट तक पहुंच सकती है.
देश में प्रमुख थर्मल पावर प्लांट की अगर बात करें तो इनमें से राजस्थान के 7 में से 6, पश्चिम बंगाल के सभी 6, उत्तर प्रदेश के 4 में से 3, मध्य प्रदेश के 4 में से 3, महाराष्ट्र के 7 में सभी 7 और आंध्र प्रदेश के सभी 3 प्लांट में कोयले का स्टॉक बेहद कम लेवल पर पहुंच गया है. पावर प्लांट्स की शिकायत है कि रेल रैक की कमी से कोयला मिलने में देरी हो रही है.
बिजली संकट का अंदाजा इस बात से लगाइए की देश की वित्तीय राजधानी मुंबई और इसके आसपास के इलाकों में जहां पहले 24 घंटे बिजली रहती थी वहां अब लगातार बिजली कटौती हो रही है.
बिहार और उत्तराखंड में भी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगातार बिजली कटौती हो रही है. राजस्थान में बिजली की मांग में 31 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जिससे हर रोज 5 से 7 घंटे बिजली की कटौती की जा रही है. अगर बात यूपी की करें तो भारत में सबसे ज्यादा आबादी वाले इस राज्य में 3,000 मेगावॉट बिजली की कमी है.
लगभग 23,000 मेगावॉट की मांग की तुलना में आपूर्ति सिर्फ 20,000 मेगावॉट की हो रही है. बिजली संकट की वजह से कई शहरों में 8 से 9 घंटे तक की कटौती हो रही है.
इन सबके बीच ये भी जान लीजिए कि अलग-अलग राज्यों के बिजली डिसकॉम्स का कोल इंडिया पर हजारों करोड़ रुपए बकाया है. देश के सभी डिस्कॉम्स पर कोल इंडिया का कुल 7918.72 करोड रुपये बकाया है.
इसमें वेस्ट बंगाल को 1066.40 करोड़, झारखंड का 1018.22 करोड़ और तमिलनाडु का 823.92 करोड़ रुपये बकाया बना हुआ है.
गर्मी भी सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है. देश के कई हिस्सों में तापमान लगातार बढ़ रहा है. मौसम विभाग ने लू की चेतावनी जारी की है. भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक. देश की राजधानी नई दिल्ली में 20 अप्रैल को तापमान 42.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था जो पांच सालों में सबसे गर्म दिन था. मार्च में नेशनल
ऐवरेज रिकॉर्ड 92 डिग्री तक पहुंच गया, जो 1901 के बाद सबसे ज्यादा है. अब कोयले की कमी को देखते हुए रेलवे ने ट्रेनों को भी कैंसिल करना शुरू कर दिया है.
सरकार की कोशिश पैसेंजर ट्रेनों को कैंसिल कर कोयले की रैकों को पावर प्लांट्स तक पहुंचाने की है. रेलवे ने 24 मई तक 670 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया है. इनमें से 500 से ज्यादा ट्रेनें लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें हैं.
बिजली संकट लोगों के पसीने तो छुडा ही रहा है. इसका असर अब आपकी जेब पर भी पड़ने वाला है. आप सोचेंगे कैसे?दरअसल बिजली कटौती की वजह से कोल्ड स्टोरेज को पावर देने के लिए जनरेटर चलाने पड़ेंगे.
कारखानों की भी यही हालत होगी… इससे इनकी लागत बढ़ेगी और सामान महंगा होगा और सीधा असर पड़ेगा आम आदमी की जेब पर. यानी बड़ी चुनौती इस वक्त सरकार के सामने है. उसके पास वक्त कम है. कोयले के संकट को हर हाल में तुरंत दूर करना होगा ताकि अगले 2-3 महीने पूरे देश के लोग इस गर्मी से निपट सकें.