महंगाई से बेहाल, जीना हुआ मुहाल
कमोडिटी कीमतें इस जंग के पहले से ऊपर चढ़ने लगी थीं. अब इनमें और तेजी आ गई है. महंगाई की एक वजह, क्रूड यानी कच्चे तेल के दामों में लगी आग है.
महंगाई की मार ने आपकी जेब को काटना शुरू कर दिया है. खाने-पीने का सामान हो या रोजमर्रा की जरूरतों की चीजें…सबके दाम बढ़ने शुरू हो चुके हैं. बात यहीं तक नहीं रुकती…गाड़ियों, कंस्ट्रक्शन मैटेरियल ये सब भी महंगाई के घोड़े पर सवार हो गए हैं. इसका सीधा असर पड़ रहा है आपकी जेब पर….हर सेक्टर में इनपुट कॉस्ट या रॉ मैटेरियल की कीमतें बढ़ी हैं. अब कंपनियों ने एक हद तक तो इस बढ़ोतरी को खुद झेलने की कोशिश की, लेकिन अब बात उनके बूते से भी बाहर हो गई है. नतीजा ये कि कंपनियां सामानों के दाम बढ़ाने लगी हैं ताकि इनपुट कॉस्ट को कस्टमर्स पर पास कर सकें.
आप पूछेंगे कि भाई ऐसा हुआ क्या है कि कच्चे माल के दाम अचानक बढ़ने लगे हैं…?? अब इसकी कई वजहें हैं. फौरी वजह रूस-यूक्रेन की जंग है. इसने दुनियाभर में कमोडिटीज से लेकर बाकी चीजों के दाम तेजी से ऊपर चढ़े हैं. हालांकि, कमोडिटी कीमतें इस जंग के पहले से ऊपर चढ़ने लगी थीं. अब इनमें और तेजी आ गई है. महंगाई की एक वजह, क्रूड यानी कच्चे तेल के दामों में लगी आग है.
अपने देश में भी चुनाव होने तक तो तेल की कीमतों में तेजी पर लगाम लगी रही. लेकिन, अब जो कीमतें बढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ है तो ये थमता नहीं दिख रहा है. 4 अप्रैल को पिछले दो हफ्ते से भी कम वक्त में पेट्रोल-डीजल के दाम 12वीं दफा बढ़े हैं. अब गणित आसान है भाई…तेल महंगा हो जाएगा तो माल ढुलाई भी तो महंगी होगी.
बस इसीलिए गाड़ियों से लेकर रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ने लगे हैं. लेकिन, कंपनियों को एक डर भी है. कीमतें बढ़ाना तो उनकी मजबूरी बढ़ गई है, लेकिन उन्हें लग रहा है कि कहीं इससे डिमांड भी न घट जाए. कोविड के झंझटों के बाद जैसे-तैसे इकोनॉमी उठना शुरू हुई है, कामधंधा पटरी पर लौटना शुरू हुआ है. ऐसे में महंगाई की कील कहीं फिर से इसे पंचर न कर दे…खैर, वजहें चाहे जो हों, रहन-सहन का खर्च आम लोगों के लिए बड़ी परेशानी जरूर बन गया है.