फेसबुक और इंस्टाग्राम पर इन दिनों थ्रिफ्ट स्टोर (Thrift Stores) के काफी विज्ञापन आ रहे हैं. थ्रिफ्ट स्टोर का मतलब उन मार्केट प्लेस से है जहां आप पुरानी चीजें खरीद सकते हैं. विदेशों में, खासकर यूरोप और अमेरिका में फिजिकल थ्रिफ्ट स्टोर काफी समय से काम कर रहे हैं और बेहद पॉपुलर भी हैं. लेकिन भारत में ये एक उभरता कॉन्सेप्ट है. इस तरह के स्टोर से आप जूलरी, कपड़े, जूते, फर्नीचर सहित तमाम चीजें खरीद सकते हैं..
ऐसी ढेरों ई-कॉमर्स साइट्स भी हैं जो प्रोडक्ट स्पेसिफिक पुराना सामान बेचती हैं. हालांकि भारत में अब भी सेकेंड हैंड चीजों को लेकर भरोसे की कमी है. सेकेंड हैंड सामान की खरीद तेजी से चलन में आ रही है. खासकर कोविड के बाद से लोगों की सोच में बदलाव आया है. इसकी कई वजहें हैं जैसे कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर बढ़ती जागरुकता, सस्ते में खरीदारी आदि.
सेकेंड हैंड सामानों का बाजार भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है. मार्केट रिसर्च कंपनी ट्रांसपेरेंसी मार्केट रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में सेकेंड हैंड सामानों का वैश्विक बाजार 405 अरब डॉलर से ज्यादा का था और 2031 तक 1,300 अरब डॉलर होने की उम्मीद है.
क्या-क्या सामान मिलता है?
सेकेंड हैंड बाजार से फ्रिज, टीवी, एसी, वॉशिंग मशीन से लेकर बाइक, साइकिल, कार, किताबें, स्मार्टफोन, फर्नीचर जैसी तमाम चीजें खरीदी जा सकती हैं.. देख-परख कर खरीदने पर सस्ते में अच्छी क्वालिटी का सामान मिल सकता है.
कौन सी साइटें बेचती हैं पुराना सामान?
क्विकर (Quikr), ओएलएक्स (Olx), ईबे (ebay), Allindiabazaar.in, Maxdeal.in, secondhandbazaar.in जैसी कई साइट्स और ऐप हैं जहां आप तमाम तरह के सेकेंड हैंड सामान खरीद सकते हैं. वहीं कुछ सामानों के लिए खास ऐप और साइट्स हैं… उदाहरण के लिए पुरानी कार खरीदनी है तो उसके लिए कारदेखो (CarDekho), कार्स24 (Cars24), कारवाले (CarWale) जैसे विकल्प हैं, वहीं सेकेंड हैंड फोन खरीदने के लिए Cashify, Amazon Refurbished, Digify और Refurboffers जैसे ऐप्स या साइट्स हैं. इसी तरह पुराने और रिफर्बिश्ड गैजेट्स जैसे कि लैपटॉप और टैबलेट खरीदने के लिए Budli, Refurboffers, Electronics Bazaarऔर ShopClues जैसे कई ऐप्स हैं.. इनमें से कुछ ऐप्स ऐसे भी हैं जहां आप पुराना डिजिटल कैमरा, प्रिंटर, हेडफोन जैसे कई दूसरे गैजेट्स खरीद सकते हैं. सेकेंड हैंड सामान के साथ बचत तो होती ही है, साथ ही कम दाम में विंटेज कार, लक्जरी बैग, महंगी घड़ियां जैसे सामान आदि खरीद सकते हैं.
हालांकि सेकेंड हैंड चीजों के साथ कुछ दिक्कतें भी जुड़ी हैं जैसे कि ज्यादातर सामान पर कोई गारंटी-वारंटी नहीं मिलती. साथ ही हो सकता है कि वे सामान बहुत ज्यादा दिन तक काम न करे. एक और बात है कि सेकेंड हैंड सामानों में कोई अंदरुनी गड़बड़ी है तो हो सकता है कि आपको वो खरीदते समय पता न चले. और जब बाद में दिक्कत का पता चले, तब आप कुछ कर नहीं पाएंगे. आखिर में हम ये कह सकते हैं कि सेकेंड हैंड सामान खरीदना एक फायदे का सौदा है लेकिन सामान खरीदते समय कुछ पहलुओं का ध्यान रखना जरूरी है. इन सबके बाद अपनी जरूरत और जेब के हिसाब से ही खरीदारी का फैसला लें.