क्या आप जानते हैं कि किसी कर्जदार के गारंटर बनते समय आप जो कागज साइन कर रहे होते हैं उनमें क्या लिखा होता है? यह भी जानिए मनी 9 के इस वीडियो में कि आपकी एक छोटी सी लापरवाही कैसे आपको दिवालिया होने तक की कगार पर पहुंचा सकती है.
पीएनबी के पूर्व विधि अधिकारी एवं इंसोल्वेंसी एक्सपर्ट सुरेश बंसल बताते हैं कि आमतौर पर लोग गारंटर बनने के दस्तावेजों पर बिना पढ़े और समझे साइन कर देते हैं जबकि उसके बड़े जोखिम भरे दायित्व होते हैं। गारंटर बनने के बाद व्यक्ति को उन सभी नियमों का पालन करना होता है जिस पर उसने हस्ताक्षर किए हैं।
इसमें वह कर्ज लेने वाले व्यक्ति के समय पर भुगतान न करने की स्थिति में अपनी संपत्ति बेचकर कर्ज चुकाने की सहमित देता है. कर्ज लेने वाले व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद भी गारंटर की जिम्मेदारी समाप्त नहीं होती बल्कि इस हालात में कर्जदार व्यक्ति का खाता फ्रीज कर दिया जाता है और गारंटर के कर्ज की बकाया राशि के भुगतान तक की जिम्मेदारी बनी रहती है।
इसके अलावा बैंक कर्जदार और गारंटर यानी दोनों के विरुद्ध एक साथ वसूली के लिए कानूनी कार्रवाई कर सकता है। इसमें यह आवश्यक नहीं है कि पहले कर्जदार के विरुद्ध ही कार्रवाई की जाए। भुगतान न करने पर बैंक गारंटर को भी डिफॉल्टर घोषित कर सकता है. दिवालिया कानून के तहत गारंटर के खिलाफ केस दर्ज करके वसूली की कार्रवाई की जा सकती है.
मनी9 सलाह
यदि कर्ज लेने वाले व्यक्ति की आर्थिक सेहत या आदतों के बारे में जरा भी संदेह है तो हरगिज लोन गारंटर न बनें… किसी के दबाव में आकर गारंटर कतई न बनें. गारंटर बनने से पहले बैंक के अधिकारी और कर्ज लेने वाले व्यक्ति से आपके मन में आपने वाले सारे संदेह स्पष्ट कर लें..