दो मिनट के झटपट नूडल की तरह दो मिनट में झटपट लोन. न CIBIL रिपोर्ट की जरूरत और न ही डॉक्यूमेंट्स की पूछताछ. चंद मिनटों में अकाउंट में क्रेडिट हो जाएगा लोन 5,000 रुपए से लेकर 5 लाख तक का लोन बस चुटकियों में और वो भी घर बैठे.
अगर आप गूगल प्ले स्टोर में जाकर इंस्टेंट लोन के लिए सर्च करेंगे तो हजाराें विकल्प सामने आ जाएंगे. भारत में ऐप के जरिए लोन देने वालों की बाढ़ सी आ गई है. यह स्थिति तब है जब आरबीआई इस तरह का कर्ज देने वाले ऐप्स पर करीब निगरानी कर रहा है. वह इस तरह की 650 ऐप्स को अवैध घोषित कर चुका है.
आरबीआई के बाद गूगल ने अपने प्लेस्टोर से इस तरह के करीब 100 ऐप हटा दिए हैं. लेकिन मोटे मुनाफे का सौदा होने की वजह से एक ऐप बंद होते ही दो नए ऐप लांच हो जा रहे हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक डिजिटल प्लेटफॉर्म से ऑनलाइन लोन लेने वालों का आंकड़ा महज 3 साल में ही 12 गुना बढ़ गया. साल 2017 में डिजिटल लोन का साइज 11,671 करोड़ रुपए का था. साल 2018 में इस प्लेटफार्म के जरिए 29,888 करोड़ का लोन दिया गया. साल 2019 में बढ़कर कर्ज का यह आंकड़ा तेजी से बढ़ते हुए 72,663 करोड़ और 2020 में बढ़कर करीब 1.42 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया.
बाजार में डिजिटल लोन को early salary या Pay Day नाम से जाना जाता है. बैंकों की तुलना में यह लोन तत्काल और आसानी से मिल जाता है. बैंक से लोन लेने का मतलब है लंबा चौड़ा पेपरवर्क, इनकम टैक्स रिटर्न से लेकर लोन लेने के पिछले रिकॉर्ड की जांच पड़ताल. मतलब 8-10 दिन के बाद लोन अप्रूव होता है.
डिजिटल ऐप 15 दिन से एक माह की छोटी अवधि के लिए लोन देते हैं. अगर किसी को 10 से 15 हजार रुपए का लोन चाहिए तो बैंक इतना छोटा लोन नहीं देंगे. कोविड महामारी के दौरान डिजिटल ऐप के जरिए इस तरह के लोन खूब दिए गए.
डिजिटल ऐप से लोन लेने की राह काफी आसान है लेकिन तय समय पर नहीं चुकाया तो बड़ी मुसीबत पैदा हो सकती है. बानगी के तौर एक भुक्तभोगी के फोन पर कुछ इस तरह के मैसेज की क्लिप देखिए. लोन की अवधि खत्म होने में करीब एक हफ्ता बचा था लेकिन उनके पास इस तरह के मैसेज आने लगे.
ये क्या तरीका है
अपना लोन अदा करो वरना तुम्हारे दोस्तों, परिवार और रिश्तेदारों से बात करेंगे तुम्हारी फोन की गैलरी से फोटो पॉर्न साइट में अपलोड कर देंगे. इस तरह के मामलों में पिछले दो साल में उत्पीड़न से लेकर सुसाइड तक की कई घटनाएं सामने आई हैं. MBA की एक छात्रा से लेकर मायानगरी के मशहूर लेखक की आत्महत्या की खबर आई– सोचिए जरा इतना मजबूर किसी को कैसे किया जा सकता है?
डिजिटल लोन कैसे बनता है गले की हड्डी?
डिजिटल लोन ब्याज दर काफी ऊंची होती है. अगर चुकाने में देरी हो जाए तो ब्याज पर ब्याज और जुर्माना लगकर काफी बड़ी रकम हो जाती है. इस तरह कई बार 10,000 रुपए का लोन बढ़कर लाख तक में पहुंच जाता है. कर्जदार की ओर से वसूली का दबाव, भागता ब्याज, ऊपर से लेट फीस. इससे दबाव में आकर व्यक्ति एक लोन से छुटकारा पाने के लिए दूसरा और फिर तीसरा लोन ले बैठते हैं. इस तरह वह महंगे लोन के जाल में फंस जाता है.
कैसे बनाते हैं दबाव?
लोन देने वालों ऐप डाउनलोड के वक्त फोनबुक और फोटो गैलरी की परमिशन मांगते हैं. इसके बगैर ऐप डाउनलोड नहीं होगा. यही है डिजिटल दादागिरी का आधार. फोटो का गलत इस्तेमाल और फोनबुक में आपके दोस्त, रिश्तेदार, मां–बाप से लेकर सास–ससुर और बॉस को मैसेज और कॉल की धमकी आपका चैन छीन सकते हैं. साइबर क्राइम के जांच अधिकारी रीतेश भाटिया बताते हैं कि उनके पास लगातार लेंडिंग ऐप से जुड़े साइबर बुलिंग के मामले पहुच रहे हैं. अगर कोई ऐप आपसे फोन बुक और फोटो गैलरी की परमिशन मांग रहा है तो उसे डाउनलोड नहीं करना चाहिए.
मनी9 की सलाह
रिजर्व बैंक जब तक इन ऐप्स को लेकर अपने दिशानिर्देश लागू नहीं कर देता तब तक आपको अपनी सुरक्षा खुद ही करनी होगी. जहां तक हो इस तरह का लोन लेने से बचने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए.