लघु बचत योजनाओं में जाने वाला निवेश इस साल सरकार के लिए बड़ा मददगार बन गया है. इन योजनाओं में निवेश बढ़ने की वजह से सरकार को खर्च चलाने के लिए इस साल कम कर्ज उठाना पड़ रहा है. आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने एक विदेशी समाचार एजेंसी को बताया है कि चालू वित्तवर्ष में लघु बचत योजनाओं में लक्ष्य से ज्यादा निवेश आता है तो सरकार को खर्च चलाने के लिए कम कर्ज उठाना पड़ेगा.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में जब वित्तवर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश किया था तो उसमें खर्च चलाने के लिए बाजार से 15.43 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है, जिसमें 8.88 लाख करोड़ रुपए सितंबर तक जुटाना था. बाकी कर्ज अक्टूबर से मार्च के दौरान जुटाया जाएगा.
सरकार ने इस साल पूरे वित्तवर्ष के लिए लघु बचत योजनाओं से पैसा जुटाने के लिए 4.71 लाख करोड़ रुपए के बॉन्ड जुटाने का लक्ष्य रखा है. लेकिन इस साल सरकार ने एक तरफ महिलाओं के लिए नई लघु बचत योजना शुरू की है और साथ में वरिष्ठ नागरिकों के लिए पहले से चल रही लघु बचत योजना में भी निवेश की लिमिट बढ़ाकर 30 लाख रुपए कर दी है. इन वजहों से लघु बचत योजनाओं में निवेश बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.
इस साल सरकार ने लघु बचत योजनाओं में 2.93 लाख करोड़ रुपए का निवेश आने का लक्ष्य निर्धारित रखा हुआ है और अप्रैल से जुलाई तक यह लक्ष्य 41 फीसद पूरा हो गया है, संभावना है कि मार्च अंत तक लघु बचत योजनाओं में आने वाला निवेश पिछले साल से काफी आगे निकल जाएगा. पिछले साल लघु बचत योजनाओं से 3.04 लाख करोड़ रुपए का निवेश आया था.
लघु बचत योजनाओं में जो निवेश आता है उसका इस्तेमाल सरकार अपनी जरूरतों के लिए करती है और बदले में निवेशकों को फिक्स ब्याज दिया जाता है. क्योंकि इस पैसे की मदद से सरकार को कम कर्ज उठाना पड़ता है, ऐसे में यह वित्तीय घाटे में भी नजर नहीं आता.