ये आदतें बिगाड़ देंगी आपकी नेटवर्थ

अगर आप लोन लेकर कोई कार या ट्रक खरीदते हैं और उसका कमर्शियल यूज लेते हैं, तो वह आपको आय देगा, जो उसके साथ आ रही लायबिलिटीज के असर को खत्म कर देगी.

ये आदतें बिगाड़ देंगी आपकी नेटवर्थ

जिन एसेट्स की कीमत समय के साथ घटती जाती है, वे डिप्रिशिएटिंग एसेट्स कहलाते हैं. (Photo Credit: TV9 Bharatvarsh)

जिन एसेट्स की कीमत समय के साथ घटती जाती है, वे डिप्रिशिएटिंग एसेट्स कहलाते हैं. (Photo Credit: TV9 Bharatvarsh)

अनुराग के दोस्त अक्सर उससे जलते थे. और जलें भी क्यों न… अनुराग लग्जरी कार में जो चलता था और वह भी साल में दो बार बदल लेता था. अनुराग का एक पॉश सोसाइटी में बड़ा सा फ्लैट भी था. लोग अनुराग को एक बड़ा पैसे वाला आदमी समझते थे. अनुराग भी खुद फन्ने खां से कम नहीं मानता था. लेकिन पता नहीं क्यों धीरेधीरे अनुराग की हालत पतली होती चली गई. एक समय तो ऐसा आया कि उसके पास बिजली का बिल भरने के भी पैसे नहीं रहे. आखिर क्यों हुई अनुराग की ऐसी हालत. क्या किसी ओर के साथ भी ऐसा हो सकता है? आइए जानते है.

दरअसल, अनुराग की पर्सनल बैलेंस शीट गड़बड़ा गई थी. अनुराग की लायबिलिटीज अर्थात उसकी देनदारी उसके एसेट्स मतलब उसकी संपत्ति से कई ज्यादा अधिक हो गई थी. बेशक अनुराग अच्छा कमाता था, लेकिन उसके एसेट्स ही उसकी लायबिलिटीज बढ़ा रहे थे. लोचा यहीं था. आइए इस पहेली को थोड़ा खोलते हैं.

जिन एसेट्स की कीमत समय के साथ घटती जाती है, वे डिप्रिशिएटिंग एसेट्स कहलाते हैं. जैसेबिल्डिंग्स, कंप्यूटर व सॉफ्टवेयर, फर्नीचर, मशीनरी और व्हीकल. अगर आप इन डिप्रिशिएटिंग एसेट्स को लोन लेकर खरीद लेते हैं, तो आपकी एसेट वैल्यू तो धीरेधीरे कम होती ही है, आपके ऊपर भारी लायबिलिटीज भी आ जाती हैं. जब आप लोन लेकर रहने के लिए घर खरीदते हैं, तो वह घर तो आपका डिप्रिशिएटिंग एसेट्स है ही, लेकिन उस का लोन जो आप चुका रहे हैं, वह एक बड़ी लायबिलिटी है.

अब आप कहेंगे कि घर डिप्रिशिएटिंग एसेट कैसे है?

क्योंकि कोई भी बिल्डिंग हो, समय के साथ जीर्णशीर्ण होती जाती है. जब आप रहने के लिए फ्लैट या मकान लेते हैं, तो आप उसे बेचेंगे तो नहीं ना! अगर बेच देंगे तो रहने के लिए फिर नया खरीदना होगा.

अब आते हैं कार पर. जब आपकी कार शोरूम से नीचे सड़क पर उतरती है, तब से ही उसकी कीमत कम होना शुरू हो जाती है. यूएस न्यूज एंड वर्ल्ड रिपोर्ट के अनुसार, एक नई कार की कीमत पहले साल में औसतन 30 फीसद तक गिर जाती है. इसके बाद आने वाले वर्षों में इसकी कीमत 15 से 18 फीसद तक गिरती है.

अनुराग ने भी यही किया. वह लोन लेकर कारें खरीदता रहा. होम लोन आदि की ईएमआई जो पहले से चल रही थी, वह अलग. उसके कार, घर आदि थे तो एसेट्स लेकिन उनके खर्चे और लोन की लायबिलिटीज ने अनुराग की पर्सनल बैलेंस शीट बिगाड़ दी. इस तरह वह धीरेधीरे कर्ज के बोझ में दबता चला गया और उसकी नेटवर्थ निगेटिव होती गई.

ध्यान दें, अगर आप लोन लेकर कोई कार या ट्रक खरीदते हैं और उसका कमर्शियल यूज लेते हैं, तो वह आपको आय देगा, जो उसके साथ आ रही लायबिलिटीज के असर को खत्म कर देगी.

मनी9 की सलाह

घर, कार जैसे डिप्रिशिएबल एसेट्स इस तरह के खरीदें, जिनकी रीसेल वैल्यू अधिकतम हों.

लोन लेकर अपने शौक पूरे ना करें.

समयसमय पर अपनी पर्सनल बैलेंश शीट चेक करते रहें.

अगर नेटवर्थ निगेटिव हो गई है तो संभल जाएं और अपने कर्ज कम करें.

Published - April 17, 2023, 05:05 IST