प्रशांत बहुत खुश हैं लेकिन कंफ्यूज भी हैं. खुश इसलिए क्योंकि एक दोस्त ने उधार लिए 2 लाख रुपए वापस कर दिए हैं. कंफ्यूज इसलिए हैं कि इन पैसों का करें क्या? लाखों ऐसे लोग हैं, जिनके पास पैसे तो होते हैं, लेकिन उन्हें कहां लगाया जाए ये पता नहीं होता है… पैसा घर में रखने का फायदा नहीं है क्योंकि रिटर्न नहीं मिलता है. सेविंग्स अकाउंट में रिटर्न नाममात्र का है. आज हम आपको ऐसे दो इन्वेस्टमेंट के बारे में बताएंगे. जहां आप अपनी सरप्लस मनी मतलब ऐसा पैसा जिसे फिलहाल खर्च करने की कोई योजना नहीं है. उसे इन्वेस्ट करके अच्छा रिटर्न कमा सकते हैं.
आमतौर पर लोग या तो घर में पैसे रखते हैं या सेविंग्स अकाउंट में सेविंग्स अकाउंट में 3 से 3.5 फीसदी का इंटरेस्ट रेट है. स्टेट बैंक यानी SBI सेविंग अकाउंट पर 2.70 से 3 फीसदी जबकि HDFC बैंक 3 से 3.5 फीसदी सालाना इंटरेस्ट देते हैं. ऐसे में स्वीप-इन FD (Sweep-in FD) और लिक्विड फंड्स निवेश के दो ऐसे साधन हैं, जिसमें आप अपनी सरप्लस यानी एक्स्ट्रा मनी जमा कर सकते हैं. इनमें रिटर्न सेविंग्स अकाउंट से ज्यादा है और निवेश सुरक्षित माना जाता है.
कैसे काम करती है स्वीप इन एफडी?
स्वीप-इन सुविधा के जरिए सेविंग्स अकाउंट में पड़े एक्सेस पैसे आटोमैटिक फिक्स्ड डिपॉजिट अकाउंट में ट्रांसफर हो जाते हैं. मान लीजिए आपका हर महीने का खर्च 50 हजार है. आपने स्वीप इन फीचर के तहत अपने अकाउंट में 50 हजार की कट-ऑफ लिमिट लगा दी… अब होगा ये कि आपके अकाउंट में 50 हजार रुपए से ऊपर जो भी फंड रहेगा, उसकी खुद-ब-खुद FD बन जाएगी. इससे आपको एक्सेस फंड पर ज्यादा ब्याज का फायदा मिलेगा, जो सामान्य फिक्स्ड डिपॉजिट यानी रेगुलर FD के बराबर होगा.
ICICI बैंक स्वीप इन सुविधा के तहत, 15 महीने की FD पर 7.1 फीसदी, 3 और 5 साल पर 7 फीसदी की दर से रिटर्न दे रहा है. उदाहरण के लिए, ICICI बैंक स्वीप इन सुविधा के तहत, 15 महीने की FD पर 7.1 फीसदी, 3 और 5 साल पर 7 फीसदी की दर से रिटर्न दे रहा है.
स्वीप-इन FD का टेन्योर आमतौर पर एक से 5 साल तक होता है. कहीं-कहीं 10 साल तक हो सकता है. यह बैंक पर निर्भर करेगा. स्वीप-इन FD का फायदा ये है कि इमरजेंसी के वक्त अगर आपके खाते में पैसे कम हैं और आपको कोई पेमेंट करना है तो जितने पैसे कम होंगे वो FD से सेविंग्स अकाउंट में आ जाएंगे. बचे पैसों पर तय रेट पर ब्याज मिलेगा. बैंक से बात करके या इंटरनेट और फोन बैंकिंग के जरिए आप स्वीप-इन FD की सुविधा शुरू करा सकते हैं.
अब बात करते हैं लिक्विड फंड्स की. लिक्विड फंड्स म्यूचुअल फंड की डेट कैटेगरी में आते हैं. ये स्कीमें बहुत छोटी अवधि के डेट इंस्ट्रूमेंट जैसे ट्रेजरी बिल, कमर्शियल पेपर, ऊंची रेटिंग वाले सरकारी और कॉरपोरेट बॉन्ड में निवेश करती हैं.
वैल्यू रिसर्च के मुताबिक, लिक्विड फंड्स ने पिछले एक साल के दौरान करीब 6 से 7 फीसदी का रिटर्न दिया है. इस लिहाज से इसका रिटर्न सेविंग्स अकाउंट के ब्याज से ज्यादा और बैंक FD के लगभग बराबर है. आवेदन करने के एक से 2 दिन में लिक्विड फंड्स से पैसा निकल जाता है. लिक्विड फंड्स में म्यूचुअल फंड के जरिए सीधे या ब्रोकरेज फर्म के जरिए निवेश कर सकते हैं.
स्वीप-इन FD में रिटर्न गारंटीड है. हालांकि, मैच्योरिटी से पहले FD से पैसे निकालने से बचना है क्योंकि इससे ब्याज का नुकसान होता है. लिक्विड फंड्स में पुराने रिटर्न के आधार पर निवेश किया जाता है. ऐसे में फंड के पुराने रिटर्न पर जरूर गौर करें.
प्रशांत की तरह आपको भी समझ आ गया होगा कि एक्स्ट्रा पैसों को सेविंग्स अकाउंट में रखकर आप कितनी बड़ी गलती कर रहे हैं. स्वीप-इन FD और लिक्विड फंड्स के बीच चयन व्यक्ति के फाइनेंशियल गोल, पैसों की जरूरत किस समय है और इंटरेस्ट रेट कितना है इस पर निर्भर करेगा. अगर आपके पास बड़ी रकम है जिसकी जरूरत आपको अगले 1 से 3 महीने बाद पड़ेगी तो लिक्विड फंड आपके लिए सही विकल्प हो सकता है.