इस साल डिपॉजिट के मुकाबले कर्ज की मांग बढ़ने की वजह से आने वाले दिनों में बैंकों की तरफ से डिपॉजिट की दरों में बढ़ोतरी की जा सकती है. फिक्स डिपॉजिट पर बैंक ब्याज दर बढ़ा सकते हैं. इस साल अप्रैल से अगस्त के दौरान बैंक डिपॉजिट में 6.6 फीसद की बढ़ोतरी हुई है जबकि इस दौरान क्रेडिट की मांग 9.1 फीसद बढ़ी है. इस दौरान डिपॉजिट के तौर पर बैंकों के पास कुल 11.9 लाख करोड़ रुपए आए हैं, जबकि बैंकों ने 12.4 लाख करोड़ रुपए के कर्ज बांटे हैं. कर्ज के लिए बढ़ती इस मांग को पूरा करने के लिए बैंकों को ज्यादा डिपॉजिट की जरूरत होगी और उसको पूरा करने के लिए बैंक जमा पर ब्याज दर बढ़ा सकते हैं..
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-अगस्त 2023 में बैंकों के पास डिपॉजिट 6.6 फीसद बढ़कर 149.2 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जबकि बैंकों के द्वारा बांटा गया कर्ज 9.1 फीसद बढ़कर 124.5 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है. ऐसे में अब अनुमान लगाया जा रहा है कि बैंक कर्ज को बांटने के लिए डिपॉजिट में बढ़ोतरी के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकते हैं. डिपॉजिट और बैंक कर्ज के जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें एचडीएफसी के एचडीएफसी बैंक में विलय का भी अहम रोल रहा है. दरअसल, विलय के बाद बैंक के कर्ज और डिपॉजिट के अंतर बढ़ गया क्योंकि हाउसिंग फाइनेंस कंपनी की जमा राशि उसके कर्ज की तुलना में कम थी.
क्रेडिट ग्रोथ 13-13.5 फीसद रहने की उम्मीद
केयरएज रेटिंग्स के मुताबिक एचडीएफसी विलय के प्रभाव को छोड़ दिया जाए तो चालू वित्त वर्ष के लिए क्रेडिट ग्रोथ 13-13.5 फीसद रहने की उम्मीद है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि बैंक अपने ब्रांच नेटवर्क को मजबूत करेंगे ताकि डिपॉडिट ग्रोथ से कर्ज के उठाव में बाधा नहीं आए. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस के मुताबिक आरबीआई के आंकड़ों के आधार पर जुलाई में जमा की लागत में बढ़ोतरी हुई, जो कि अगस्त में भी जारी रहने की उम्मीद है. बैंकों की औसत डिपॉजिट रेट अप्रैल के 6.28 फीसद से बढ़कर जुलाई 2023 में 6.55 फीसद हो गई है.