आज के दौर में अगर आप मोबाइल या वॉलेट कहीं भूल आएं तो शायद किसी तरह भी मिल भी जाए. लेकिन क्या होगा अगर आप अपने निवेश जैसे, बीमा, शेयर, डिविडेंड आदि भूल जाएं तो? क्या उन्हें भी किसी तरह से ट्रैक किया जा सकता है? जी हां, बिल्कुल ऐसे निवेश को ट्रैक किया जा सकता है. हालांकि यह रास्ता इतना सीधा नहीं है. आइए आपको बताते हैं इन निवेश को ट्रैक करने का तरीका-
दावा न किए गए शेयर, डिविडेंड और डिपॉजिट्स
इन मदों के तहत जमा की गई धनराशि जो लगातार 7 वर्षों तक बिना क्लेम के बनी रहती है तो वह इंवेस्टर एजुकेशन एंड प्रोटेक्शन फंड (IEPF) में स्थानांतरित कर दी जाती है. इनमें डिविडेंड (भुगतान न किए गए व दावा न किए गए दोनों), मैच्योर हुए डिपॉजिट एवं डिबेंचर, प्रीफेरेंस शेयर के रिडेम्पशन से मिला मुनाफा, शेयर आवेदन निधि जो किसी कंपनी के शेयर आवंटन के बाद बिना क्लेम के रह जाती है उन्हें एक निश्चित अवधि के बाद आईईपीएफ में ट्रांसफर कर दिया जाता है.
लोकसभा डेटा के अनुसार 31 जनवरी, 2023 तक IEPF में 5,675.25 करोड़ रुपए जमा थे. यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है, 2016-17 में 1,672 करोड़ रुपए से बढ़कर 2021-22 में 5,262.25 करोड़ रुपए हो गया है. इस बढ़ोतरी के कई कारणों में से एक है इन दावों के लिए मंजूरी मिलने में धीमी प्रक्रिया.
धीमी प्रतिक्रिया
लोकसभा दस्तावेजों के आंकड़ों से पता चलता है कि 31 जनवरी, 2023 तक, IEPF को लगभग 30,317 दावे प्राप्त हुए थे, लेकिन उनमें से केवल 8,216 को मंजूरी दी गई थी. कई मामलों में औसत मंजूरी का समय 200 दिनों तक जा सकता है.
क्लेम करने की प्रक्रिया
IEPF से अपनी धनराशि वापस पाने के लिए आपको फॉर्म IEPF-5 ऑनलाइन जमा करना होगा साथ में उस कॉपी का दस्तावेज और दूसरे जरूरी दस्तावेज कंपनी के नोडल अधिकारी को जमा करने होंगे. कंपनी क्लेम मिलने के 15 दिन के अंदर वेरिफिकेशन रिपोर्ट भेज देती है. IEPF फिर जमा किए गए दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि करता है. सब कुछ सही होने पर आपके शेयर/रिफंड राशि इलेक्ट्रॉनिक रूप से आपके खाते में वापस कर दी जाती है.
ये दस्तावेज हैं जरूरी
इस तरह की रकम को क्लेम करने लिए आपको IEPF-5 फॉर्म के साथ कुछ जरूरी दस्वाज जमा करने होंगे.
एसआरएन के साथ ई-फॉर्म की ऑनलाइन एक्नॉलेजमेंट फॉर्म
मूल क्षतिपूर्ति बांड
मैच्योर हुए डिबेंचर/जमा/शेयर का मूल प्रमाणपत्र
एडवांस स्टाम्प रसीद
रद्द किया गया चेक और आधार
क्लेम न किया गया बीमा
अगर आपको अभी-अभी अपने माता-पिता की खोई हुई बीमा पॉलिसियों के बारे में पता चला है, तो आप उन पर भी दावा कर सकते हैं. सभी बीमा कंपनियां हर 6 महीने में अपनी वेबसाइट पर 1,000 रुपए से ज्यादा की बिना क्लेम की गई बीमा राशि के बारे में जानकारी अपडेट करती हैं. यह राशि कुछ भी हो सकती है- डेथ बेनेफिट, मैच्योरिटी क्लेम, सरवाइवल बेनेफिट, या कोई अन्य धन जिसका निपटान की नियत तारीख से 6 महीने से अधिक समय तक दावा न किया गया हो.
इस तरह की राशि को ढूंढने के लिए आपको पॉलिसीधारक का पैन नंबर और जन्मतिथि देनी होगी. एक बार सत्यापित होने के बाद बीमा कंपनियां दावेदार को भुगतान कर देंगी.