कोविड-19 महामारी के दौरान लिए गए ज्यादा उधार के चलते भारतीय घरेलू बचत लगातार घट रही थी, लेकिन वित्त वर्ष 2023-24 में इसमें बढ़ोतरी हो सकती है. ये दावा क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स ने मंगलवार को जारी अपनी एक रिपोर्ट में किया. फर्म के मुताबिक घरेलू बचत बढने के साथ घरेलू देनदारियों में हो रही वृद्धि में भी कमी आएगी.
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अभी राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आधिकारिक आंकड़ों का इंतजार है, लेकिन शुरुआती संकेत बता रहे हैं कि वित्त वर्ष 2024 में घरेलू बचत में सुधार हो सकता है. इसके अलावा भारत का चालू खाता घाटा (CAD) वित्त वर्ष 2024 में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1% तक कम होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष में 2% था. हालांकि निवेश पिछले वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद के 32.2% से बढ़कर लगभग 33.7% हो गया. अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में कुल घरेलू बचत मजबूत होने की संभावना है, जो पिछले वित्त वर्ष में 10.7% थी.
एसआईपी में बढ़ी दिलचस्पी
रिपोर्ट के मुताबिक हाल के दिनों की तुलना में वित्तीय वर्ष 2024 में लोगों की दिलचस्पी म्यूचुअल फंड में काफी बढ़ी है, यही वजह है कि इसमें निवेश तेजी से बढ़ा है. देश में ज्यादातर लोगों ने एसआईपी के माध्यम से निवेश किया. इसके अलावा 2023-24 में बैंक की जमा वृद्धि दर 13.5 प्रतिशत दर्ज की गई, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 9.6 प्रतिशत थी. वहीं दूसरी ओर बैंकों के खुदरा ऋण की वृद्धि दर घटी है.
रियल एस्टेट में बढ़ा निवेश
रिपोर्ट में बताया गया कि कोविड महामारी के बाद से लोगों का रुझान रियल एस्टेट में काफी बढ़ा है. जिसके चलते लोग इसमें जमकर पैसा लगा रहे हैं.भारतीय परिवारों ने वित्त वर्ष 2024 में रियल एस्टेट में निवेश जारी रखा. प्राॅपर्टी महंगी होने के बावजूद लोग इसमें निवेश कर रहे हैं.
उधार लेने के चलन में इजाफा
क्रिसिल की रिपोर्ट में बताया गया कि महामारी के बाद से आम लोग बचत की तुलना में तेज गति से उधार ले रहे हैं. बैंकों की ओर से लगातार खुदरा ऋण को बढ़ावा देने और उधार लेने की इच्छा में बढ़ोतरी के चलते परिवारों में ऋण की प्रवृत्ति बढ़ रही है.