अगर आपने सरकारी गोल्ड बॉन्ड (SGB) में निवेश किया है तो इसके रिटर्न के सामने सब विकल्प फेल हैं. जिन लोगों ने इस बॉन्ड में पांच साल पहले निवेश किया था उनका पैसा दोगुने से ज्यादा हो गया है. एसजीबी को रिजर्व बैंक (RBI) जारी करता है. इसकी खरीदारी म्यूचुअल फंड की तरह यूनिट में की जाती है. इसे बेचने पर सोना नहीं बल्कि उस समय इसके मूल्य के आधार पर राशि मिलती है. इसमें न्यूनतम एक ग्राम सोने के बराबर राशि निवेश कर सकते हैं. गोल्ड बॉन्ड आठ साल की योजना है लेकिन पांच साल पूरे होने पर इसे भुना सकते हैं. जिन लोगों ने मई 2018 में गोल्ड बॉन्ड में निवेश किया था उन्हें अब समय पूर्व निकासी मौका मिला है.
कितना मिला रिटर्न
आरबीआई ने जब मई 2018 में गोल्ड बॉन्ड की किस्त जारी की थी तब सोने की कीमत 2901 रुपए प्रति ग्राम तय की गई थी. अब इस बॉन्ड को भुनाने के लिए सोने का भाव 6115 रुपए प्रति ग्राम तय किया गया. जिन लोगों ने इस बॉन्ड को रिडीम कराया है उन्हें 110 फीसद का रिटर्न मिला है. इसके अलावा निवेशक को सालाना 2.5 फीसद ब्याज और मिलता है जिसका भुगतान छमाही आधार पर किया जाता है. आरबीआई के अनुसार गोल्ड बॉन्ड की कीमत निकासी की तारीख के पहले सप्ताह के दौरान सोने की औसत कीमत पर आधारित होती है.
एफडी से कितना बेहतर
जिन लोगों ने पांच साल पहले सरकारी गोल्ड बॉन्ड में एक लाख रुपए निवेश किए थे आरबीआई की गणना के हिसाब से उनके निवेश की राशि बढ़कर 1.10 लाख रुपए हो गई. अगर इस पर मिलने वाला 2.5 फीसद के सालाना ब्याज को जोड़ लें तो चक्रवृद्धि आधार पर पांच साल में 13,000 रुपए से ज्यादा बन जाएगा. इस तरह पांच साल में एक लाख रुपए के निवेश पर 1.23 लाख रुपए का रिटर्न मिला. इस तरह गोल्ड बॉन्ड ने पांच साल में 123 फीसद का रिटर्न दिया. अगर पांच साल पहले एसबीआई की एफडी एक लाख रुपए लगाए होते तो पांच साल बाद मैच्योरिटी की रकम 1.38 लाख रुपए बनती. उस समय बैंक इस एफडी पर 6.5 फीसद ब्याज दे रहा था. इस तरह एफडी में पांच साल में 38 फीसद रिटर्न मिला है. इस तरह पांच साल में गोल्ड बॉन्ड ने एफडी की तुलना में तीन गुने से ज्यादा रिटर्न दिया है.
कैसे लगता है टैक्स
गोल्ड बॉन्ड को प्रीमैच्योर भुनाने से हुए मुनाफे पर कोई टैक्स नहीं लगता ध्यान रहे कि आप सरकार से रीडिम कर रहे हैं तो टैक्स की देनदारी नहीं है. अगर आप इसे एक्सचेंज पर बेचेंगे तो खरीद की तारीख के 3 साल के अंदर मिलने वाला रिटर्न शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स माना जाएगा. यह रिटर्न निवेशक की सालाना आय में जुड़ेगा और निवेशक के स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा. वहीं अगर गोल्ड बॉन्ड को खरीद की तारीख से 3 साल पूरे होने के बाद बेचा जाता है तो 20 फीसद की दर से लांग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होगा. गोल्ड बॉन्ड पर मिलने वाला ब्याज निवेशक की सालाना आय में जुड़ता है.
SGB में हर साल निवेशक को छमाही आधार पर2.5 फीसदी का सालाना ब्याज मिलता है. जो निवेशक इस आय पर निवेशक को अपने स्लैब के अनुसार टैक्स का भुगतान करना होगा. एफडी से होने वाली सालाना आय में जुड़ती है. अगर आप ऊचे टैक्स स्लैब में आते हैं तो आपका सालाना रिटर्न चार फीसद तक रह जाता है.
कितना होना चाहिए निवेश
पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट जितेन्द्र सोलंकी कहते हैं तो सुरक्षित निवेश के लिए सोना अच्छा विकल्प है. अपने पोर्टफोलियो का 10 से 15 फीसद तक हिस्सा गोल्ड में निवेश करना चाहिए. इस निवेश के लिए गोल्ड बॉन्ड और गोल्ड ईटीएफ अच्छे विकल्प हैं. इन दोनों 50-50 फीसद राशि लगा सकते हैं. बहरहाल, आपके पोर्टफोलियो में गोल्ड बॉन्ड जरूर शामिल होना चाहिए.