बचत के लिए एफडी शुरू से ही एक लोकप्रिय जरिया है. पिछले कुछ समय से इस पर मिलने वाली ब्याज दर में हुई बढ़ोतरी ने निवेशकों को और आकर्षित किया है. आने वाले दिनों में भी इसका लाभ निवेशकों को मिलता रहेगा, क्योंकि विश्लेषकों के अनुमान के तहत ब्याज दर में लंबे समय तक कटौती नहीं होगी. उनका मानना है कि मजबूत ऋण वृद्धि, लिक्विडिटी और फंडों के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा से जमा दरें लंबे समय तक ऊंची रहने की संभावना है.
हाल ही में कई बड़े और छोटे दोनों बैंकों ने चुनिंदा अवधियों की एफडी की जमा दरों में बढ़ोतरी की है. ज्यादातर बैंक अपनी क्रेडिट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए धन जुटा रहे हैं. पिछले हफ्ते, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने चुनिंदा अवधि में अपनी सावधि जमा (FD) दरों में 25 से 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है. बैंक 400 दिनों की अवधि के लिए 7.10% ब्याज की पेशकश भी कर रहा है जो 31 मार्च 2024 तक वैध है. इसी तरह, कोटक महिंद्रा बैंक ने भी तीन साल से ऊपर की कुछ एफडी अवधि पर ब्याज दरों में 50 से 75 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है. वहीं छोटे ऋणदाता जैसे- डीसीबी बैंक ने 1 दिन से 12 महीने 10 दिन की अवधि में अपनी एफडी दरों को 10 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 7.85% कर दिया है.
चौथी तिमाही तक ब्याज दरें ऊंचाई पर रहने की उम्मीद
विश्लेषकों का कहना है कि मजबूत ऋण वृद्धि बैंकों को अधिक जमा जुटाने के लिए मजबूर करेगी. उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में जमा दरें ऊंची रहेंगी क्योंकि यह ऋण मांग के लिए पीक टाइम होगा. मोतीलाल ओसवाल के विश्लेषक नितिन अग्रवाल का कहना है कि उच्च जमा दरों के कारण दबाव पड़ेगा. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक मार्जिन में साल-दर-साल 5 से 10 बीपीएस की गिरावट आएगी, जबकि एफडी जमा पर उनकी अधिक निर्भरता के कारण निजी क्षेत्र के बैंक मार्जिन में 10 से 20 बीपीएस की कमी आएगी. विश्लेषकों को उम्मीद है कि बैंकिंग प्रणाली के लिए ऋण वृद्धि अगले वित्त वर्ष में भी 15% के आसपास रहेगी, जिससे ऋणदाताओं को जमा राशि जुटाने के लिए या तो उच्च दरों की पेशकश जारी रखनी होगी या ऋण वितरण को पूरी तरह से धीमा करना होगा.