EPFO Wage Ceiling: ईपीएफओ के खाताधारकों को जल्दी ही अच्छी खबर मिल सकती है. सरकार जल्दी ही कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत पीएफ खाताधारकों की मिनिमम सैलरी 21,000 रुपये करने पर विचार कर रही है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत वेतन सीमा को 15,000 से बढ़ाकर 21,000 रुपये करने पर विचार कर रही है. सरकार सामाजिक सुरक्षा कवरेज को बढ़ाने के लिए ईपीएफओ के वेतन सीमा को बढ़ा सकती है. दरअसल लंबे समय से वेतन सीमा को बढ़ाने की मांग की जा रही है. अगर सरकार वेतन सीमा 15,000 से 21,000 रुपये हो जाती है, तो 21,000 रुपये का 8.33 फीसद यानी मासिक ईपीएस योगदान 1,749 रुपये हो जाएगा.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत पीएफ खाताधारकों की मिनिमम सैलरी (PF Account Holder Minimum Salary) 15 हजार रुपये से बढ़ाकर 21 हजार रुपये कर सकती है. एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर सरकार ऐसा करती है, तो कर्मचारियों के पेंशन (EPS) में योगदान की राशि प्रभावित होगी. इसके साथ ही पीएफ की राशि में भी इजाफा हो सकता है.
अंतिम बार कब हुई थी बढ़ोतरी ?
गौरतलब है कि ईपीएफओ और ईएसआईसी दोनों श्रम और रोजगार मंत्रालय अंतर्गत आते हैं. इससे पहले आखिरी बार ईपीएफओ के तहत 2014 में वेतन सीमा में संशोधन हुआ था. उस समय इसे 6,500 से बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया गया था, जो आज भी लागू है. इसके साथ, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) में आखिरी बार संशोधन 2017 में हुआ था जबसे 21,000 रुपये की उच्च वेतन सीमा है. सरकार का कहना है कि दो सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत वेतन सीमा को जोड़ा जाना चाहिए.
कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का होता है योगदान
ईपीएफ खाते में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों 12 फीसद का योगदान करते हैं. कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम 1952 के तहत, ईपीएफ कर्मचारी का पूरा योगदान पीएफ खाते में जमा किया जाता है, जबकि नियोक्ता के योगदान का 8.33 फीसद एम्प्लॉई पेंशन स्कीम जमा किया जाता है और बाकि 3.67 फीसद पीएफ खाते में जमा किया जाता है.
लाखों श्रमिकों को होगा फायदा
इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में एक ईपीएफओ अधिकारी के हवाले से बताया है कि वेतन सीमा बढ़ाने से सरकार और प्राइवेट सेक्टर दोनों पर बड़ा फाइनेंशियल प्रभाव पड़ेगा. लेकिन श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए यह एक बेहतर प्रयास होगा. बढ़ी हुई वेतन सीमा से लाखों श्रमिकों को लाभ होगा क्योंकि अधिकांश राज्यों में न्यूनतम मजदूरी 18,000 रुपये और 25,000 रुपये के बीच है.