एसएंपी ग्लोबल रेटिंग्स ने 26 मार्च को एक रिपोर्ट जारी कर दो बातें कही हैं. पहला ये कि भारत की ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2024-25 में 6.8 फीसद रहने का अनुमान है. दूसरा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए वित्त वर्ष के दौरान ब्याज दरों में 0.75 फीसद तक की कटौती कर सकता है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी संकेत दिया है कि वह जून से ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. यूरोपीय सेंट्रल बैंकों को लेकर भी ऐसी ही उम्मीद की जा रही है. अब सवाल उठता है कि ब्याज दर घटने की दौर में कौन से म्यूचुअल फंड निवेशकों को कम जोखिम में बेहतर रिटर्न दे सकते हैं?
जब ब्याज दरों में कमी का दौर शुरू होता है तो कॉरपोरेट बॉन्ड फंड बेहतर प्रदर्शन करते हैं. कॉरपोरेट बॉन्डों द्वारा दिया जाने वाला ब्याज दूसरी ब्याज दरों से सीधे तौर पर प्रभावित होता है. इसका कारण है कि बॉन्ड की कीमतें और ब्याज दरें हमेशा एक दूसरे की विपरीत दिशा (Inversely Proportional) में चलती हैं. घटते ब्याज के दौर में कॉरपोरेट बॉन्ड से रिटर्न बढ़ता है. हालांकि, इन फंडों के इंडेक्सेशन बेनिफिट को समाप्त कर दिया गया है, लेकिन ये कम लागत अनुपात (low-cost ratio) का लाभ देते हैं.
कहां निवेश करते हैं कॉरपोरेट डेट फंड्स?
कॉरपोरेट बॉन्ड फंड ऐसे डेट फंड हैं जो AA+ और इससे बेहतर रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्डों और सरकारी प्रतिभूतियों (Government Securities) में इंवेस्ट करते हैं. निप्पॉन इंडिया कॉरपोरेट बॉन्ड फंड ने 8 फीसद से अधिक का सालान रिटर्न दिया है. इस कैटेगरी के कुल फंडों में से लगभग आधे ने 8 फीसद से अधिक रिटर्न दिया है. इनमें एक्सिस कॉरपोरेट डेट फंड, एचडीएफसी कॉरपोरेट बॉन्ड फंड और बड़ौदा बीएनपी पारिबा, एचएसबीसी और आदित्य बिड़ला सन लाइफ के फंड्स शामिल हैं.
किन निवेशकों को करना चाहिए निवेश
कॉरपोरेट बॉन्ड फंड जोखिम से बचने वाले ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर ऑप्शन हो सकते हैं जो निवेश पर अच्छे रिटर्न की तलाश में हैं. ज्यादातर कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों की समयावधि आम तौर पर 1 से 4 साल के बीच होती है, जो निवेशकों को अपनी लिक्विडिटी मेन्टेन करने की अनुमति देती है. हाई रिटर्न की पेशकश के अलावा, कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों को किसी भी समय खरीदा और बेचा जा सकता है. इस प्रकार पैसों की जरूरत होने पर निवेशक जब चाहें निकासी कर सकते हैं.