आकर्षक ब्‍याज दरों ने बढ़ाई बैंकों की जमा, 1-3 साल के टर्म डिपॉजिट में बढ़ोतरी

वित्त वर्ष 2023 में 1 से 3 साल की अवधि के दौरान सावधि जमा की हिस्सेदारी कुल बकाया का 64 प्रतिशत हो गई है

आकर्षक ब्‍याज दरों ने बढ़ाई बैंकों की जमा, 1-3 साल के टर्म डिपॉजिट में बढ़ोतरी

बैंकों की ओर से दिए जा रहे आकर्षक ब्‍याज के चलते टर्म डिपॉजिट (सावधि जमा) में बढ़ोतरी देखने को मिली है. वित्त वर्ष 2023 में 1 से 3 साल की अवधि के दौरान सावधि जमा की हिस्सेदारी कुल बकाया का 64 प्रतिशत हो गई है, जो मार्च 2022 के 50.5 फीसद के मुकाबले ज्‍यादा है.

भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर जारी किए गए आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार मार्च 2023 के अंत तक शेड्यूल्‍ड कॉमर्शियल बैंकों (SCB) की सावधि जमाएं सालाना 13.50 प्रतिशत बढ़कर 97.60 लाख करोड़ रुपए हो गई है. कुल जमा में सावधि जमा का काफी योगदान है. वित्त वर्ष 2023 में ये आंकड़ा बढ़कर 11,61,262 करोड़ हो गया है, जो वित्त वर्ष 2022 में 7,21,322 करोड़ रुपए था.

जानकारों का मानना है कि बैंकों के जमाकर्ताओं ने उच्च ब्याज दरों के लालच में टीडी में पैसा निवेश किया है. ज्‍यादातर लोगों ने एक से 3 वर्ष की अवधि में अपनी रकम को इसमें ट्रांसफर किया है. यही वजह है कि उन्होंने बचत खाते में अपनी कुछ शेष राशि को टीडी में लगा दिया.

उदाहरण के तौर पर भारतीय स्टेट बैंक वर्तमान में 2 वर्ष से अधिक एवं 3 वर्ष से कम की अवधि में घरेलू टीडी (2 करोड़ रुपए से कम) पर 7 प्रतिशत तक का ब्‍याज दे रहा है. वहीं 1 वर्ष से ज्‍यादा और 2 वर्ष से कम की अवधि के टीडी पर ब्‍याज दर 6.80 है.

मई 2022 से पॉलिसी रेपो दर में 250 बेसिस प्‍वाइंट की बढ़ोतरी की गई थी, इसके जवाब में, फ्रेश और बकाया जमा पर डब्ल्यूएडीटीडीआर क्रमशः 245 बीपीएस और 113 बीपीएस बढ़ाई गई. जबकि एक वर्ष से कम अवधि में टीडी का रेशियो मार्च 2023 आखिर तक घटकर कुल बकाया टीडी का 20 प्रतिशत हो गया, जबकि मार्च-अंत 2022 में यह 31 प्रतिशत था.

टीडी में बढ़त की वजह

जानकारों का कहना है कि बैंक 1-3 साल की मैच्‍योरिटी अवधि में अधिकतम दरों की पेशकश कर रहे हैं. रेपो रेट के कारण ऊंची ब्याज दर कम से कम 1-2 साल तक जारी रहने की उम्‍मीद है इसी कारण लोग टर्म डिपॉजिट में ज्‍यादा निवेश कर रहे हैं. इसके अलावा वरिष्ठ नागरिक आम तौर पर ऐसी जहां पैसा लगाते हैं, जहां ब्याज दर अधिकतम होती है. क्योंकि उनमें से 95 प्रतिशत के पास कोई अन्य आय नहीं होती है. वे म्यूचुअल फंड के लिए जोखिम भी नहीं लेते हैं, इसलिए टर्म डिपॉजिट उनके लिए बेहतर विकल्‍प थे.

Published - October 5, 2023, 05:19 IST