मार्केट रेगुलेटर सेबी ने हाल में ही एक्सिस म्यूचुअल फंड के दफ्तरों समेत 16 इकाइयों के ठिकानों पर छापेमारी की. मामला एक्सिस MF के दो फंड मैनेजरों के कथित तौर पर गड़बड़ियां करने से जुड़ा हुआ है. दरअसल, इन फंड मैनेजरों पर फ्रंट रनिंग के आरोप लगे और उसके बाद फंड हाउस ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. सेबी इस मामले की गहराई से जांच कर रहा है. कंपनी भी अपने दो फंड मैनेजर वीरेन जोशी और दीपक अग्रवाल पर आंतरिक जांच की रिपोर्ट नियामक अधिकारियों को सौप चुकी है.
इस मामले के खुलासे ने म्यूचुअल फंड स्कीमों के निवेशकों के भरोसे को भी हिला दिया है. इस पूरे मामले ने एक दफा फिर से फ्रंट रनिंग को सुर्खियों में ला दिया है. ऐसे में दिमाग में ये बात कौंधती है कि आखिर ये फ्रंट रनिंग होती क्या है? तो चलिए समझते हैं.
फ्रंट रनिंग को सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग की तरह माना है. तो पहले समझिए इनसाइडर ट्रेडिंग क्या होती है? कोई व्यक्ति जिसके पास किसी कंपनी से जुड़ी ऐसी जानकारी है जिससे उसके शेयर भाव प्रभावित हो सकता है और उसने इसके आधार पर ट्रेड किया हो. अब उदाहरण से समझिए, मान लीजिए कि किसी x कंपनी को कोई बड़ा ऑर्डर मिला. यह जानकारी किसी तरह कंपनी से पहले किसी ट्रेडर के पास पहुंच गई और उसने कंपनी के शेयर खरीद लिए. जब यह जानकारी कंपनी, एक्सचेंज या पब्लिक डोमेन में आई तो शेयर पर इसका स्वाभाविक असर दिखा और शेयर की कीमत बाजार में चढ़ गई. इस समय उस व्यक्ति ने अपने शेयर बेचकर मुनाफा कमा लिया.
जब भी कोई म्यूचुअल फंड कोई बड़ा ऑर्डर देता है तो कुछ फंड मैनेजर फंड हाउस के ऑर्डर को एग्जिक्यूट करने से पहले अपने पर्सनल अकाउंट से उसी स्टॉक की खरीदारी कर लेते हैं. जब ये फंड हाउस बड़ी तादाद में किसी शेयर को खरीदते हैं तो उसकी कीमतें जाहिर तौर पर ऊपर चढ़ती हैं. ये पूरी गतिविधि ही फ्रंट रनिंग कहलाती है. सेबी ने फ्रंट रनिंग को मार्केट मैनिपुलेशन और इनसाइडर ट्रेडिंग माना है. सेबी अधिनियम 1995 की धारा 4(2) के मुताबिक फ्रंट रनिंग भारत में गैर कानूनी है.
यह मामला जनवरी 2022 से शुरू होता है जब कुछ बाजार के प्रतिभागियों ने कंपनी के मैनेजमेंट से वीरेन जोशी की संदिग्ध गतिविधियों की शिकायत की. कंपनी को लगातार कई डीलर्स की ओर से शिकायत मिली. साथ ही कई कारोबारी दिनों में कंपनी ने यह भी पाया कि वीरेन जोशी ट्रेडिंग के दौरान गायब हैं. इसके बाद कंपनी ने दो डीलर्स वीरेन जोशी और दीपक अग्रवाल पर इस मामले में जांच के लिए उन पर आंतरिक कार्रवाई शुरू की. यह जांच अल्वारेज एंड मार्शल इंक की ओर से की गई. आंतरिक जांच के बाद कंपनी ने अपनी रिपोर्ट नियामकीय अधिकारियों को सौंप दी. कंपनी की आंतरिक जांच के दौरान ही सेबी ने भी अपनी जांच शुरू कर दी.
इस केस में एक्सिस म्यूचुअल फंड के दो एग्जिक्यूटिव्स पर आरोप लगा है कि उन्होंने ब्रोकरों से रिश्वत लेकर ऊंची कीमतों पर ट्रेड ऑर्डर लगाए. इस गतिविधि में निवेशकों के हितों की पूरी तरह से अनदेखी की गई. इन लोगों पर आरोप ये भी लगे कि उन्होंने स्टॉक्स की कीमतों को इतना ऊपर कर दिया कि इनकी मार्केट कैपिटलाइजेशन उस लेवल पर चली गई जहां से दूसरे फंड हाउसेज के लिए भी ये स्टॉक्स पैसा लगाने के लिए योग्यता के दायरे में आ गए.
फ्रंट रनिंग में किसी म्यूचुअल फंड के किसी स्टॉक में बड़े ट्रांजैक्शन से पहले इनसाइडर इंफॉर्मेशन के आधार पर उसी स्टॉक की खरीदारी की जाती है. इस तरह से उस स्टॉक की कीमतों में नकली तेजी पैदा की जाती है. जब भी कोई म्यूचुअल फंड कोई बड़ा ऑर्डर देता है तो कुछ फंड मैनेजर फंड हाउस के ऑर्डर को एग्जिक्यूट करने से पहले अपने पर्सनल अकाउंट से उसी स्टॉक की खरीदारी कर लेते हैं. जब ये फंड हाउस बड़ी तादाद में किसी शेयर को खरीदते हैं तो उसकी कीमतें जाहिर तौर पर ऊपर चढ़ती हैं. इस तरह उन्हें गैरकानूनी गतिविधि से मोटा मुनाफा होने की संभावना मजबूत होती है.