Retirement Planning: 60 साल के हो जाएं तो शेयरों में कितना पैसा लगाएं, यहां है इसका जवाब

रिटायरमेंट प्लानिंग के दौरान इक्विटी इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी, नियमित कमाई बंद होने के बाद इक्विटी होल्डिंग जैसे सवाल बेहद अहम हो जाते हैं.

Your retirement life can be a lot of fun if you have already done this planning

रिटायरमेंट प्लानिंग में देरी करना सही नहीं है. कम उम्र में प्लानिंग से ज्यादा फायदा होता है. 25-35 की उम्र से रिटायरमेंट प्लानिंग की शुरुआत करनी चाहिए.

रिटायरमेंट प्लानिंग में देरी करना सही नहीं है. कम उम्र में प्लानिंग से ज्यादा फायदा होता है. 25-35 की उम्र से रिटायरमेंट प्लानिंग की शुरुआत करनी चाहिए.

Retirement Planning: भारतीय शेयर बाजारों में तेजी का दौर जारी है और बेंचमार्क इंडेक्स एक के बाद एक नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं. इस हफ्ते की शुरुआत में BSE सेंसेक्स 52,869.51 अंक के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 15,901.60 के लेवल पर चला गया था.

हालांकि, ज्यादातर निवेशकों के लिए मार्केट के भविष्य के रुझानों को समझना मुश्किल हो सकता है और ऐसे में वे मौजूदा ऊंचे दाम पर स्टॉक्स में पैसा लगा सकते हैं. लेकिन, अगर आप हाल-फिलहाल में रिटायर हुए हैं या रिटायर होने वाले हैं तो आपको क्या करना चाहिए?

आपकी इक्विटी इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी क्या होनी चाहिए और नियमित कमाई बंद होने के बाद आपकी इक्विटी होल्डिंग क्या होनी चाहिए? ऐसे कई सवाल हैं जो आपके लिए इस वक्त अहम होंगे.

ज्यादातर इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स सलाह देते हैं कि आपको रिटायरमेंट के करीब पहुंचने पर इक्विटीज में निवेश को लेकर सतर्कता बरतनी चाहिए.

लैडर7 फाइनेंशियल एडवाइजर्स के फाउंडर सुरेश सदगोपन कहते हैं, “हर किसी को उम्र के हर चरण में इक्विटी में एक सही अनुपात में पैसा रखना चाहिए. ये बात रिटायरमेंट पर भी लागू होती है. हालांकि, यह अनुपात युवावस्था के मुकाबले कम होना चाहिए.”

जोखिम कम करना

सदगोपन कहते हैं कि रिटायरमेंट के वक्त पर जोखिम को कम करने की जरूरत होती है. वे कहते हैं, “आपको जरूरत पड़ने पर ही जोखिम लेना चाहिए. अगर आपका फंड छोटा है तो आपको रिटर्न बढ़ाने पर नहीं सोचना चाहिए. इससे आपका जोखिम काफी बढ़ सकता है. इसकी बजाय आपको अपने खर्च कम करने चाहिए ताकि आप अपने फंड को बढ़ा पाएं.”

हालांकि, हर शख्स की जोखिम लेने की क्षमता अलग-अलग होती है, लेकिन यहां एक फॉर्मूला है जो आपकी मदद कर सकता है. इसे 100 में से अपनी उम्र घटाकर हासिल किया जा सकता है. मिसाल के तौर पर, अगर आप 40 साल के हैं, तो आप इक्विटीज में अपनी होल्डिंग को 60% रख सकते हैं. दूसरी ओर, 60 के होने पर आपको इसे घटाकर 40 कर लेना चाहिए.

पोर्टफोलियो मिक्स

पोर्टफोलियो के मसले पर अरविंद राव एंड एसोसिएट्स के फाउंडर अरविंद राव कहते हैं कि रिटायर होने वाले हर शख्स के लिए एक जैसा पोर्टफोलियो मिक्स नहीं हो सकता है.

हालांकि, राव जोखिम कम करने और आमदनी बरकरार रखने के लिए एक पोर्टफोलियो मिक्स सुझाते हैंः

1. रिस्क-फ्री इनवेस्टमेंटः 40-45%

2. Fixed- इनकम इनवेस्टमेंट/ डेट आधारित म्यूचुअल फंडः 25-30%

3. गोल्डः 5%

4. इक्विटी/इक्विटी MF: 20-30%

ज्यादा सुरक्षा और ऊंचा रिटर्न

सदगोपन कहते हैं कि रिटायरमेंट पोर्टफोलियो का मकसद सुरक्षा और ऊंचा रिटर्न होना चाहिए. वे कहते हैं, “पोर्टफोलियो मिक्स में फंड साइज, रिटायरमेंट के बाद के खर्च, लक्ष्य, मेडिकल कंडीशन जैसे फैक्टर आते हैं. कुल मिलाकर पोर्टफोलियो में रिस्क कम रहना चाहिए. इस अवधि में रिटर्न के मुकाबले सुरक्षा को तरजीह देनी चाहिए.”

इक्विटी के मोर्चे पर सदगोपन सुझाव देते हैं कि लोगों को लार्ज-कैप आधारित फंड, हाइब्रिड फंड और इंडेक्स फंड्स जैसे कम रिस्क वाले निवेश पर फोकस करना चाहिए. वे कहते हैं कि इक्विटी का हिस्सा 10-40 फीसदी के बीच होना चाहिए.

Published - June 18, 2021, 03:02 IST