FDI यानी फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट मतलब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश. भारतीय कंपनी में विदेश की कोई कंपनी अपना पैसा लगाए तो उसे एफडीआई कहेंगे. केंद्र सरकार के मुताबिक, देश की अर्थव्यवस्था के लिए कई सेक्टर में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए एफडीआई की सीमा बढ़ाई जाती है. फिलहाल यहां हम बात करेंगे पेंशन सेक्टर की. सरकार पेंशन सेक्टर में भी एफडीआई की सीमा को बढ़ाकर 74% कर सकती है.
संसद के मॉनसून सत्र में इस संबंध में विधेयक पेश किया जा सकता है. जिसमें पेंशन सेक्टर में मौजूदा 49 फीसदी की सीमा को बढ़ाकर 74 फीसदी किए जाने का प्रस्ताव होगा. देश में करीब 8.5 करोड़ लोग NPS यानी नेशनल पेंशन स्कीम और EPS यानी एंप्लॉइज पेंशन स्कीम से जुड़े हुए हैं.
फरवरी 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक, NPS में 4.15 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं, जबकि EPS में 4.50 करोड़ से ज्यादा लोग अंशदान कर रहे हैं. यानी पेंशन सेक्टर में एफडीआई की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव किसी न किसी तरह से इन 8.5 करोड़ लोगों से जुड़ा है.
सबसे पहले सैलरी से कटने वाली राशि का गणित समझिए
अगर आप नौकरीपेशा हैं, तो आपकी सैलरी से कटने वाली राशि दो भागों में बंटती है. एक हिस्सा जाता है कि प्रोविडेंट फंड यानी EPF में और दूसरा हिस्सा जाता है, पेंशन फंड यानी EPS में. इसमें कुल राशि का 12 फीसदी कर्मचारी की ओर EPF में जमा हो जाता है. वहीं, कंपनी की ओर से 3.67 फीसदी EPF में जमा होता है, जबकि बाकी 8.33 फीसदी हिस्सा इंप्लॉई पेंशन योजना (EPS) में जमा हो जाता है. हर महीने इसमें 1,250 रुपए की अधिकतम सीमा तय है.
पेंशन कैसे तय होती है?
EPS योजना के तहत आपकी मासिक पेंशन क्या होगी, यह आपके पेंशन योग्य वेतन और आपी सेवा अवधि ( यानी आपने कितने सालों तक नौकरी की है ) पर निर्भर करता है. किसी PF खाताधारक सदस्य की मासिक पेंशन राशि का कैलकुलेशन का फॉर्मूला ऐसे तय होता है. सैलरी गुना नौकरी के साल में 70 से भाग देकर पेंशन राशि पता चल जाती है. जैसे आपकी बेसिक सैलरी 10 हजार है और आपने 35 साल नौकरी की है, तो आपकी पेंशन होगी: 10,000 X 35/70 = 5,000 रुपये.
भविष्य में आप पर क्या असर हो सकता है?
गुरुग्राम बेस्ड पर्सनल फाइनेंस एडवाइजर सीए अमित रंजन बताते हैं कि अगर सरकार पेंशन सेक्टर में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 74 फीसदी करती है, तो इससे आम आदमी के ऊपर प्रत्यक्ष तौर पर फर्क नहीं पड़ने वाला. कारण कि विदेशी हिस्सेदारी पेंशन फंड मैनेजमेंट में यानी सरकार की कमाई में होगी. उन्होंने कहा कि जब विदेशी निवेश होगा तो पेंशन सेक्टर का मैनेजमेंट बेहतर हो सकता है. नई तकनीक आएगी तो आम आदमी को सहूलियत होगी.
क्या PFRDA से अलग होगा नेशनल पेंशन सिस्टम?
एक चर्चा यह भी हो रही है कि नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) ट्रस्ट को चैरिटेबल ट्रस्ट या कंपनीज एक्ट के दायरे में लाया जा सकता है. हालांकि ऐसा हुआ भी तो आपके निवेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा. अपने उपक्रम का भार कम करने के लिए सरकार ऐसा कदम उठाती है. बता दें कि NPS के तहत सभी सरकारी और निजी बैंकों में जाकर खाता खोला जा सकता है. इसमें 18 से 60 वर्ष तक की उम्र के लोग निवेश कर सकते हैं.