वित्तीय संकट में फंसे रीयल एस्टेट समूह आम्रपाली की मुश्किलें दूर होती नहीं दिख रही हैं. समूह के संस्थापक और पूर्व चेयरमैन अनिल कुमार शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने से साफ इनकार कर दिया है. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कहा कि हजारों मकान खरीदारों के साथ धोखाधड़ी करने के कारण वह किसी भी तरह की सहानुभूति के लायक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अक्टूबर 2018 में अनिल शर्मा समेत तीन डायरेक्टर्स को पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था.
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम. त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि कंपनी के पहले के प्रबंधन ने इतना बड़ा घोटाला किया है कि कोर्ट को भी इस समस्या को हैंडल करने में मुश्किल हो रही है. बड़ी संख्या में घर खरीदार परेशानी झेल रहे हैं. पीठ ने अनिल शर्मा के लिए कहा, ‘आपने हजारों घर खरीदारों को धोखा दिया है. उनकी मेहनत की कमाई और जीवनभर की बचत चट कर गए. आपके लिए अच्छा है कि जेल में ही रहिए. आपके साथ किसी तरह की सहानुभूति नहीं दिखाई जा सकती.’
घर खरीदारों के हितों की चिंता घर खरीदारों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर NBCC 46,575 यूनिटों वाले 16 प्रोजेक्ट पूरे करने में जुटा है. इसमें से 9 नोएडा में बाकी ग्रेटर नोएडा में है. एनबीसीसी के मुताबिक सभी प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 8,000 करोड़ रुपए की जरूरत है. अटॉर्नी जनरल और कोर्ट के रिसीवर आर वेंकटरमानी आम्रपाली के रुके प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए पैसा जुटाने के लिए पिछले तीन साल से सभी विकल्पों पर काम कर रहे हैं.
क्या था मामला? आम्रपाली ग्रुप पर 42 हजार खरीदारों को वक्त पर घर का पजेशन न दे पाने का आरोप है. खरीदारों ने घर मिलने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. आम्रपाली ग्रुप के हलफनामे में बताया गया कि उसने खरीदारों के 1100 करोड़ रुपए अपनी सहयोगी कंपनी के शेयर खरीदने में निवेश किए. सीएमडी अनिल शर्मा ने यह भी कहा कि 2996 करोड़ रुपए ग्रुप की दूसरी कंपनियों में लगाए गए.
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