आपके घर से होती है सरकार की तगड़ी कमाई

घर खरीदने से लेकर उसमें रहने तक कई तरह से देना होता है टैक्स

आपके घर से होती है सरकार की तगड़ी कमाई

सिर पर छत का इंतजाम करना हर किसी का सपना होता है. टैक्स के बोझ से इस सपने की नींव हमेशा दरकती रहती है. भारत में घर लंबे समय के कर्ज यानी होम लोन के जरिए खरीदे जाते हैं. फ्लैट खरीदें या मकान या फिर जमीन. कदम-कदम पर टैक्स भरना होता है. घर खरीदने से लेकर उसमें रहने तक आपको कई तरह से टैक्स देना पड़ता है.

घर खरीदने पर GST
सबसे पहले फ्लैट, अपार्टमेंट, विला या बिल्डर फ्लोर खरीदने पर दिए जाने वाले जीएसटी की बात करते हैं. अंडर कंस्ट्रक्शन फ्लैट या अपार्टमेंट पर, अगर वो अफोर्डेबल हाउसिंग यानी किफायती घरों में आता है तो बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के एक फीसदी GST है जबकि नॉन-अफोर्डेबल हाउसिंग में 5 फीसदी GST जाती है. साल 2019 से पहले अफोर्डेबल के लिए जीएसटी दर आईटीसी के साथ 8 फीसदी और नॉन- अफोर्डेबल के लिए आईटीसी के साथ 12 फीसदी की दर लागू थी.

मेट्रो शहरों में अफोर्डेबल हाउसिंग में ऐसे घर आते हैं, जिनकी कीमत 45 लाख रुपए तक और कारपेट एरिया 60 वर्ग मीटर तक हो. नॉन-मेट्रो शहरों में 90 वर्ग मीटर तक के घर किफायती घरों की श्रेणी में आते हैं. कम्पलीट प्रोजेक्ट यानी जिन परियोजनाओं में संबंधित अथॉरिटी से कम्प्लीशन सर्टिफिकेट मिल चुका है, उन्हें जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. इसी तरह से रीसेल में फ्लैट या विला खरीदने पर भी जीएसटी नहीं देना होता है. ऐसी जमीन या प्लॉट की बिक्री पर जीएसटी नहीं है, जिसमें डेवलपर की ओर से कोई भी निर्माण नहीं किया गया है.

बिल्डिंग मैटेरियल पर भी भारी GST लगता है. अलग-अलग आइटम पर यह दर 5 से लेकर 28 फीसदी तक जाती है. यानी फ्लैट लें या खुद घर बनवाएं, दोनों ही सूरतों में यह टैक्स आपकी जेब से ही जाएगा. प्रॉपर्टी खरीदने पर राज्यों के पास स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस चुकानी पड़ती है. अलग-अलग राज्यों में यह दरें अलग-अलग हैं. उदाहरण के लिए, दिल्ली में प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के वक्त पुरुषों को खरीद मूल्य या सर्किल रेट, दोनों में जो ज्यादा हो, उसका 6 फीसदी स्टाम्प ड्यूटी चुकाना होती है. महिलाओं के केस में यह दर 4 फीसदी है. वहीं, सर्किल रेट या प्रॉपर्टी की कीमत का एक फीसदी रजिस्ट्रेशन फीस लगती है. इसके अलावा, ट्रांसफर ड्यूटी भी लगती है, जो कि दिल्ली नगर निगम वसूलती है.

सरकार की कितनी आय
सरकारी खजाने में कितना पैसा आता है इसे आंकड़े से समझते हैं. प्रॉपर्टी कंसल्टेंट नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 में मुंबई में 1 लाख 21 हजार से ज्यादा रेसिडेंशियल प्रॉपर्टीज का रजिस्ट्रेशन हुआ. इससे महाराष्ट्र सरकार के खजाने में स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस के रूप में 8887 करोड़ रुपए आए. एक बात और ध्यान रखने वाली है. 50 लाख रुपए से ऊपर की प्रॉपर्टी खरीदने पर प्रॉपर्टी की कुल कीमत का 1 फीसदी रकम TDS के रूप में आयकर विभाग के पास जमा कराना होता है. अगर आप होम लोन लेते हैं तो प्रोसेसिंग फीस, टेक्नीकल वैलुएशन और लीगल फीस पर बैंक GST वसूलते हैं.

घर में रहने के दौरान टैक्स
घर खरीदने के बाद उसमें रहने पर भी टैक्स देना पड़ता है. स्थानीय निकायों को हाउस टैक्स यानी प्रॉपर्टी टैक्स देना होता हैं. इसका इस्तेमाल सड़क, सीवरेज सिस्टम, पार्क, स्ट्रीट लाइट जैसी कॉमन यूज की सुविधाओं के निर्माण और मरम्मत के लिए किया जाता है. जमीन के मामले में हाउस टैक्स नहीं जाता है. इसके अलावा, वाटर टैक्स भी देना पड़ता है. अगर आप हाउसिंग सोसाइटी में रहते हैं और मेंटनेंस चार्ज के रूप हर महीने 7,500 रुपए से ज्यादा की रकम भरते हैं तो मेंटनेंस चार्ज पर 18 फीसदी GST लगता है.

घर बेचने पर भी टैक्स से निजात नहीं
घर बेचने पर भी टैक्स से मुक्ति नहीं है. घर बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है. अगर मकान 2 साल या उससे ज्यादा समय अपने पास रखने के बाद बेचा जाता है तो मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) माना जाएगा. मुनाफे पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के बाद 20 फीसदी टैक्स लगेगा. वहीं, 24 महीने से पहले मकान बेचने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) माना जाएगा. यह गेन व्यक्ति की इनकम में जुड़ जाएगा और टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स देना पड़ेगा.

Published - May 24, 2023, 09:09 IST